बजुर्गो , सूफी, साधु संतो की तालीम से ही सांप्रदायिक एकता और रंग बिरंगा गुलशन बनता है- महासचिव विजय कुमार जैन
आगरा: दरगाह हज़रत मेहमूद अली शाह चिश्ती साबरी रहमतुल्लाह अलेह के छीपीटोला स्थित आस्ताने पर हुज़ूर शहंशाह ए हिंदोस्तान ख्वाजा मोइनुद्दीन संजरी चिश्ती अजमेरी रहमतुल्लाह अलेह की फातिहा ख्वानी और दुआ का आयोजन किया गया जिसमें फातिहा ख्वानी हाफ़िज़ इस्लाम शाह कादरी ने पढ़ी और बारगाह गरीब नवाज़ में सलाम मरकज साबरी के महासचिव विजय कुमार जैन ने पढ़ा । इस मौके पर दरगाह मरकज साबरी के सज्जादानशीन पीर अलहाज रमज़ान अली शाह चिश्ती साबरी रहमतुल्लाह अलैह को भी खिराजे अकीदत पेश की गई ।
इस मौके पर मरकज साबरी के महासचिव विजय कुमार जैन ने कहा कि हमें बुजुर्गों की तालीम को आम करना है । इन बुजुर्गों की बारगाह से ही एकता और मुहब्बत की तालीम मिलती है । बुजुर्गों की बारगाह में न कोई छोटा होता है और न कोई बड़ा, न कोई हिन्दू होता है न कोई मुसलमान , इन बारगाह में तो बस इन्सान होता है और इंसानियत का सबक हासिल होता है । और एक महकता हुआ गुलशन तैयार होता है जिसमे सभी धर्म, जाति व संप्रदाय के इन्सान रंग बिरंगे फूल की तरह महकते हैं और यही एकता हमारे देश भारत को महान बनाती है । दुआ के बाद बारगाह में फूल पेश किए गए और लंगर तकसीम किया गया ।
इस मौके पर वसीम रिजवी द्वारा किए गए कृत्य पर आक्रोश व्यक्त करते हुए एक मत से इस्लाम से खारिज किया और हिंदुस्तान के सभी कब्रिस्तान की निगरानी करने वालों से कहा कि इसको मरने के बाद दफन के लिए कहीं जमीन न दी जाए । क्योंकि वसीम लानती है इस पर रहम की कोई गुंजाइश नहीं है।
फातिहा ख्वानी मे सर्वश्री बाबा अमर वर्मा सज्जादानशी , नायब सज्जादानशी गुड्डू भाई, हाफ़िज़ इस्लाम शाह कादरी , खलीफा अब्दुल सत्तार , रमज़ान खान साबरी, विजय कुमार जैन, अब्दुल सईद आगाइ, शकील साबरी, शमसू भाई उस्मानी , अब्दुल हमीद उस्मानी, अली हुसैन उस्मानी, बबलू गौरी, रहीमुद्दीन, परवेज कबीर, जावेद सईद, हाजी लियाकत , यामीन उस्मानी, हन्नू भाई आदि गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे ।
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