नोएड़ा: भारत में हो रहीं मौतों का दसवां सबसे बड़ा कारण ब्रेन ट्यूमर है। यह एक घातक बीमारी है, जिसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। लेकिन टेक्नोलॉजी में प्रगति के साथ, एंडोस्कोपिक सर्जरी ने ब्रेन ट्यूमर का इलाज आसान बना दिया है
डब्ल्यूएचओ के सहयोग से इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ कैंसर रेजिस्ट्रीज (आईएआरसी) द्वारा निकाली गई ग्लोबोकैन 2018 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में, हर साल ब्रेन ट्यूमर के लगभग 28,000 नए मामले दर्ज किए जाते हैं। इस घातक कैंसर के कारण अबतक लगभग 24000 मरीजों की मौत हो चुकी है
नोएडा स्थित फोर्टिस अस्पताल के न्यूरोसर्जरी निदेशक व प्रमुख, डॉक्टर राहुल गुप्ता ने बताया कि, “मस्तिष्क में मौजूद कोशिकाएं खराब होकर ट्यूमर का रूप ले लेती हैं। यह ट्यूमर प्राइमरी या सेकंडरी हो सकता है। प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर वह है, जो मस्तिष्क में ही विकसित होता है। ये कैंसरस या नॉन-कैंसरस हो सकते हैं। सेकेंडरी ब्रेन ट्यूमर को मेटास्टेटिक ब्रेन ट्यूमर कहा जाता है क्योंकि यह तब होता है जब कैंसर की कोशिकाएं स्तन या फेफड़ों आदि जैसे अन्य अंगों से होते हुए मस्तिष्क तक पहुंच जाती हैं। जब कैंसर विकसित होता है तो मस्तिष्क पर गहरा दबाव पड़ता है। इससे ब्रेन डोमेज होने लगता है जो मरीज की मौत का कारण बन सकता है। ब्रेन ट्यूमर के लक्षण और संकेत ट्यूमर के आकार और स्थान पर निर्भर करते हैं। ब्रेन ट्यूमर के आम लक्षणों में सिरदर्द जो सुबह के दौरान गंभीर हो जाता है, उल्टियां, धुंधला दिखाई देना, मानसिक स्वभाव में बदलाव, मस्तिष्क में झटकों का एहसास, हांथों-पैरों या चेहरे में कमजोरी और अंगो के मूवमेंट में मुश्किल आदि शामिल हैं।
इलाज में देर करने पर मस्तिष्क में गंभीर दबाव पड़ता है, जो मरीज की जान ले सकता है इसलिए इसके लक्षण नजर आते ही बीमारी का निदान व इलाज कराना आवश्यक है। इसका निदान एक सामान्य टेस्ट के साथ शुरू किया जाता है, जहां मरीज के स्वास्थ्य इतिहास की जानकारी ली जाती है। ट्यूमर की शंका होने पर इसकी पुष्टि के लिए सीटी या एमआरआई स्कैन किया जाता है। मरीजों और उनके परिवारों को सर्जरी से घबराने की बिल्कुल आवश्यकता नहीं है क्योंकि टेक्नोलॉजी में प्रगति के साथ, एंडोस्कोपिक सर्जरी की मदद से ब्रेन ट्यूमर का सफल इलाज संभव है।
डॉक्टर राहुल गुप्ता ने अधिक जानकारी देते हुए बताया कि, “एंडोस्कोपिक ब्रेन ट्यूमर सर्जरी एक मिनिमली इनवेसिव प्रक्रिया है, जिसकी मदद से न्यरोसर्जन मस्तिष्क की गहराई में विकसित ट्यूमर का भी इलाज कर सकता है या फिर उसे नाक के जरिए ढूंढ सकता है। इस प्रक्रिया के दौरान, एक या दो छोटे कट लगाकर उसमें पतली ट्यूब डाली जाती है, जो मस्तिष्क के अंदर की तस्वीरें देखने में मदद करती है। इस ट्यूब को एंडोस्कोप कहते हैं जिसमें एक छोटा कैमरा फिट होता है। इसी कैमरे की मदद से न्यूरोसर्जन विकसित ट्यूमर को देख पाता है। इस प्रक्रिया की मदद से मस्तिष्क के स्वस्थ हिस्से को बिना नुकसान पहुंचाए ट्यूमर को सफलतापूर्वक निकाल दिया जाता है।
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