आगरा: जोंस मिल जमीन घोटाले पर कटघरे में योगी सरकार, आरोप पत्र तैयार होने पर भी लेटलतीफी

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15 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र तैयार होने पर भी लेटलतीफी, 110 लोगों के बयान हो चुके हैं दर्ज

आगरा। जोंस मिल जमीन घोटाले में 15 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र तैयार होने के बाद भी आजतक कार्यवाही अधर में लटकी हुयी है। वहीं जिन लोगों ने अपने निर्माण को प्रशासन द्वारा ध्वस्तीकरण रोकने को हाईकोर्ट से स्टे लिया गया था उसकी भी मियाद पूरी होने जा रही है।

जोंस मिल परिक्षेत्र में सैकड़ों आवासीय व व्यवसायिक निर्माण ऐसे भी हैं जिन्होंने एडीए से नक्शा तक पास नहीं कराया है। एक बसपा नेता तो अवैध रूप से कब्जाए गये बंगले का खुलेआम व्यवसायिक उपयोग कर रहा है। इन सभी खामियों के बाद भी प्रदेश सरकार के सरकारी वकील हाईकोर्ट में ठीक से जिरह तक नहीं कर रहे। इस मामले में अब प्रदेश सरकार के बकीलों तथा ईओडब्ल्यू अधिकारियों पर आरोपियों से मिली भगत कर चांदी काटने के आरोप लगना शुरू हो गये हैं। उधर हजारों करोड़ की सरकारी भूमि को भूमाफियाओं से अब तक मुक्त न कराये जाने और मामले की लेटलतीफी को लेकर योगाी सरकार की छवि को भी बट्टा लग रहा है। कुछ माननीयों का इस जमीन में हाथ होने के चलते यहां बाबा का बुलडोजर सिर्फ सलामी ठोंकने का कार्य करता दिख रहा है।

15 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र तैयार होने के बाद भी आज तक मामला दाखिल न किये जाने पर आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा पर सवाल उठने लगे हैं। इन सभी लोगों ने जीवनी मंडी रोड स्थित सरकारी जमीन की गलत तरीके से बिक्री की है। यहां तक डूब क्षेत्र की भी जमीन बेच दी है। आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) कानपुर की टीम ने दस दिनों में तीन बार कलक्ट्रेट से साक्ष्य जुटाए थे। अब तक 110 लोगों के बयान दर्जन हो चुके हैं। इसमें तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल थे। जीवनी मंडी रोड स्थित एक फैक्ट्री में 19 जुलाई 2020 को बम विस्फोट हुआ था। तत्कालीन डीएम प्रभु एन सिंह के आदेश पर एडीएम प्रशासन निधि श्रीवास्तव ने इसकी जांच की। दिसंबर 2020 में इसकी रिपोर्ट डीएम को सौंपी गई। फरवरी 2021 में जिलास्तरीय एंटी टास्क फोर्स ने रज्जो जैन, चुनमुन अग्रवाल और कंवलदीप सिंह को भू माफिया घोषित किया।

रज्जो जैन की करोड़ों रुपये की संपत्ति को कुर्क किया गया। इस बीच इस मामले की जांच ईओडब्ल्यू कानपुर को ट्रांसफर हो गई। विवेचना अधिकारी शिव कुमार ने बताया था कि 15 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र तैयार हो गया है। इन सभी लोगों ने सरकारी जमीन को किसी न किसी रूप में बेचा है। कलक्ट्रेट से कुछ साक्ष्य जुटाए गए थे। आज इस मामले को कई दिन पूरे होने जा रहे हैं लेकिन अभी तक मामला लटका हुआ है। उधर तमाम भूमाफिया प्रशासन की रोक के बाद भी लगातार प्रतिबंधित क्षेत्र में एडीए अधिकारियों की मिलीभगत से अवैध निर्माण कार्य कर रहे है। एडीए अधिकारियों ने जीवनी मंडी स्थित सीएनजी पम्प के सामने बने आवासीय बंगलों पर व्यवसायिक उपयोग करने पर किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं की है। सूत्रों का कहना है कि बसपा नेता हर माह इसके एबज में सुविधा शुल्क जो दे रहा है।

रिपोर्ट- मनीष भारद्वाज


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