विश्व क्षय रोग (टीबी) दिवस: टीबी हारेगा, देश जीतेगा” – भारत एवं उत्तर प्रदेश में टीबी उन्मूलन के लिए समर्पित प्रयास

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आगरा: विश्व क्षय रोग (टीबी) दिवस के अवसर पर एसएन मेडिकल कॉलेज के क्षय रोग विभाग में स्टेट टीबी टास्क फ़ोर्स, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष *डॉ गजेंद्र विक्रम सिंह* ने भारत सरकार के “टीबी मुक्त भारत अभियान” के तहत टीबी उन्मूलन की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को रेखांकित किया।

विश्व क्षय रोग (टीबी) दिवस के अवसर पर
डॉ गजेंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि भारत विश्व में टीबी से सर्वाधिक प्रभावित देशों में से एक है, और इसे जड़ से खत्म करने के लिए सभी हितधारकों को एकजुट होकर कार्य करना होगा।

भारत में टीबी की स्थिति:

उन्होंने कहा कि भारत में टीबी अब भी एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है। विश्व में हर चार में से एक टीबी मरीज भारत में है। 2023 में भारत में 28 लाख से अधिक नए टीबी मरीज दर्ज किए गए। प्रतिवर्ष 3.25 लाख से अधिक लोग टीबी के कारण अपनी जान गंवाते हैं। 1 लाख से अधिक एमडीआर-टीबी मरीज, एमडीआर-टीबी (MDR-TB) और एक्सडीआर-टीबी (XDR-TB) के मामले बढ़ रहे हैं, जिससे उपचार चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है।

-टीबी और कुपोषण का गहरा संबंध है ।60% से अधिक टीबी रोगी कुपोषण से पीड़ित होते हैं।

उत्तर प्रदेश में टीबी की स्थिति एवं चुनौतियाँ:

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में हर वर्ष 4 लाख से अधिक नए टीबी मरीज सामने आते हैं। राज्य के ग्रामीण इलाकों में जागरूकता की कमी, गलत धारणाओं और सामाजिक कलंक (Stigma) के कारण मरीज इलाज अधूरा छोड़ देते हैं। निजी क्षेत्र में इलाज लेने वाले मरीजों का डेटा समुचित रूप से दर्ज नहीं होता, जिससे टीबी नियंत्रण में बाधा आती है। कुपोषण, गरीबी और भीड़भाड़ वाली बस्तियों में टीबी संक्रमण तेजी से फैलता है। कुछ जिलों में दवा-प्रतिरोधी टीबी (MDR-TB) के मामले अधिक हैं, जिससे इलाज अधिक महंगा और जटिल हो जाता है।

डॉ गजेंद्र विक्रम सिंह ने कहा कि टीबी को हराने के लिए केवल सरकारी प्रयास पर्याप्त नहीं हैं – इसमें प्रत्येक नागरिक की भागीदारी आवश्यक है। इस विश्व क्षय रोग दिवस पर, हम सभी संकल्प लें कि समाज के हर वर्ग को जागरूक कर, टीबी रोगियों को संबल प्रदान कर और सामूहिक प्रयासों से “टीबी मुक्त उत्तर प्रदेश एवं भारत” का सपना साकार करेंगे।

टीबी उन्मूलन के लिए भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयास

1- प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान:

• 2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य, जो वैश्विक लक्ष्य (2030) से 5 साल पहले रखा गया है।
• निक्षय पोषण योजना के तहत टीबी रोगियों को पोषण सहायता के रूप में ₹100 प्रति माह की आर्थिक सहायता दी जा रही है।
• निक्षय मित्र योजना के तहत सामाजिक संगठनों, कॉर्पोरेट सेक्टर और व्यक्तियों को टीबी मरीजों की सहायता के लिए जोड़ा जा रहा है।

2- उत्तर प्रदेश में टीबी नियंत्रण के लिए विशेष कदम:

• टीबी रोगियों की सक्रिय पहचान के लिए डोर-टू-डोर स्क्रीनिंग अभियान।
• एचआईवी-टीबी सह-संक्रमण की विशेष जांच एवं उपचार योजना।
• “टीबी मुक्त पंचायत” पहल, जिससे गांवों को टीबी मुक्त बनाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है।
• निजी चिकित्सकों को टीबी की रिपोर्टिंग एवं उपचार प्रोटोकॉल में शामिल करने के प्रयास।
• जीनएक्सपर्ट (GeneXpert) और ट्रूनैट (Truenat) जैसी आधुनिक डायग्नोस्टिक तकनीकों का विस्तार।

आगे की राह: ठोस रणनीति आवश्यक

टीबी के समूल नाश के लिए एक व्यापक रणनीति की आवश्यकता है:

सक्रिय मामलों की खोज एवं शीघ्र निदान सुनिश्चित करना।
टीबी उपचार को मजबूत करना एवं ड्रग-रेसिस्टेंट टीबी (MDR/XDR-TB) के इलाज में सुधार।
कुपोषण से ग्रस्त मरीजों के लिए पोषण योजनाओं का विस्तार।
सामाजिक जागरूकता बढ़ाने के लिए मीडिया, स्कूलों, और स्थानीय समुदायों को शामिल करना।
नई टीबी वैक्सीन और उन्नत दवाओं के शोध को गति देना।
सरकारी एवं निजी क्षेत्र के बीच सहयोग को मजबूत करना।

-up18News