अचानक क्यों बदली-बदली से लग रही है चीन की भाषा, पीएम मोदी ने ऐसा क्या कहा?

अन्तर्द्वन्द

बदली-बदली से लग रही है चीन की भाषा

बीजिंग ने प्रधानमंत्री मोदी के वक्तव्य पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि भारत-चीन का संबंध बहुत व्यापक और गहरा है जिसमें सीमा पर तनाव एक छोटी घटना ही है। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा, ‘चीन ने प्रधानमंत्री मोदी की टिप्पणियों पर ध्यान दिया है। मजबूत और स्थिर चीन-भारत संबंध… क्षेत्र और उससे आगे शांति और विकास के लिए अनुकूल हैं।’ सीमा पर संघर्ष के प्रश्न पर माओ ने कहा, ‘(यही) चीन-भारत संबंधों की सच्चाई है, यह नहीं समझा जा सकता है। हमारे रिश्ते बहुत व्यापक हैं।’ उन्होंने कहा कि सीमा विवाद को द्विपक्षीय संबंधों में उचित रूप से रखा जाना चाहिए और ठीक से प्रबंधित किया जाना चाहिए।’

चीन ने भी भारत से जताई यह आस

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता का यह वक्तव्य चीनी सरकार की अक्सर दोहराई जाने वाली प्रवृत्ति का ही एक क्रम है। दूसरी तरफ भारत भी अतीत से सीख लेकर इस निर्णय पर अडिग है कि जब तक सीमाओं की स्थिति असामान्य बनी रहती है, तब तक चीन के साथ उसके संबंधों में सामान्य स्थिति बहाल नहीं हो सकती। माओ ने इस संदर्भ में कहा कि सीमा की स्थिति से संबंधित मुद्दों को संभालने के लिए दोनों देश कूटनीतिक और सैन्य माध्यमों से लगातार संपर्क बनाए हुए हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि दोनों देशों के बीच चल रही बातचीत में सकारात्मक प्रगति आई है। माओ ने कहा, ‘हम आशा करते हैं कि भारत चीन के साथ काम करेगा और द्विपक्षीय संबंधों को रणनीतिक एवं दीर्घकालिक दृष्टिकोण से देखेगा।’

पीएम मोदी के बयान में सद्भावना का संकेत देख रहा चीन

इस बीच, चीन की आधिकारिक मीडिया ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान का स्वागत किया। सरकारी मीडिया संस्थान चाइना डेली ने पीएम मोदी के वक्तव्य को ‘सद्भावना का संकेत’ बताया। उसने अपने संपादकीय में लिखा, ‘भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक स्वागत योग्य कदम में दो पड़ोसी देशों के लिए लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवादों को ‘तत्काल’ हल करने की इच्छा व्यक्त की है। यह चीन-भारत के बीच शांतिपूर्ण और स्थिर संबंधों के विकास को समय पर बढ़ावा दे सकता है।’

इसमें आगे कहा गया, ‘मोदी की नवीनतम टिप्पणियों को सद्भावना का संकेत समझा जा सकता है क्योंकि दोनों पक्ष अपने सीमा विवादों का जल्द से जल्द निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान खोजने का प्रयास कर रहे हैं।’

संपादकीय में कहा गया है कि दोनों देशों ने जमीन पर बातचीत और परामर्श तंत्र को चालू रखा है, जो इस बात के लिए आशावाद का आधार प्रदान करता है कि वे न केवल द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल के तहत सीमा पर शांति बनाए रखना जारी रखेंगे बल्कि मैत्रीपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों का एक नया अध्याय भी शुरू करेंगे।

चार साल से दोनों तरफ से सीमा पर जमे हैं सैनिक

ध्यान रहे कि 5 मई, 2020 को पैंगोंग त्सो (झील) क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद पूर्वी लद्दाख सीमा गतिरोध के बाद से भारत और चीन के बीच व्यापार संबंधों को छोड़कर संबंध जमे हुए हैं। गतिरोध को हल करने के लिए दोनों पक्ष अब तक 21 दौर की कोर कमांडर स्तर की वार्ता कर चुके हैं।

चीनी सेना के अनुसार, दोनों पक्ष अब तक गलवान घाटी, पैंगोंग झील, हॉट स्प्रिंग्स और जियानन डाबन (गोगरा) सहित चार बिंदुओं से अलग होने पर सहमत हो गए हैं। भारत पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) पर देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों से अलग होने के लिए दबाव डाल रहा है।

पीएम मोदी ने जताई थी मुद्दे सुलझने की आस

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी पत्रिका न्यूजवीक को दिए एक साक्षात्कार में आशा व्यक्त की कि कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर सकारात्मक और रचनात्मक द्विपक्षीय संपर्क के माध्यम से दोनों देश अपनी सीमाओं पर शांति और स्थिरता बहाल करने और बनाए रखने में सक्षम होंगे।

गुरुवार को चीन ने कहा कि भारत के साथ ‘मजबूत और स्थिर संबंध’ दोनों देशों के साझा हितों की पूर्ति करते हैं। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया थी जिसमें उन्होंने कहा था कि नई दिल्ली के लिए बीजिंग के साथ संबंध महत्वपूर्ण हैं और सीमाओं पर ‘लंबे समय से चली आ रही स्थिति’ को तत्काल सुलझा लिया जाना चाहिए।

-एजेंसी


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