दिल्ली में वायु प्रदूषण इन दिनों गम्भीर स्थिति में पहुंच गया है। इस कारण दिल्ली में रहने वाले हर उम्र के लोगों को गम्भीर बीमारियों का खतरा है, हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि इन बीमारियों से बचाव के लिए दिल्ली वासियों को इस मौसम में आने वाली सारी हरी सब्जियों का सेवन करना चाहिए। इसके साथ ही लोगों को अपनी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए विटामिन सी और डी युक्त भोजन करना चाहिए, सब्जियों का जूस भी अपनी डाइट में शामिल करना जरूरी है।
देश की राजधानी दिल्ली में इस दिनों वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) खराब से बहुत खराब के बीच चल रहा है। ‘ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन’ की वेबसाइट में अर्पण चटर्जी के द्वारा दिल्ली के वायु प्रदूषण पर लिखे एक पेपर के अनुसार सूक्ष्म कण (PM2.5) स्वास्थ्य के लिए सबसे गंभीर खतरा पैदा करते हैं। यह अत्यंत छोटे होते हैं और व्यक्ति के फेफड़ों व रक्त प्रवाह में गहराई तक पहुंच सकते हैं। इन कणों के संपर्क में आने से फेफड़ों की कार्यक्षमता प्रभावित हो सकती है और अस्थमा व हृदय रोग जैसी बीमारियां और अधिक गंभीर हो सकती हैं। लंबे समय तक इन सूक्ष्म कणों के संपर्क में रहने से पुरानी ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों की कार्यक्षमता में गिरावट, और फेफड़ों के कैंसर व हृदय रोग से मृत्यु दर में वृद्धि का संबंध पाया गया है।
पेपर के अनुसार दिल्ली स्थित सर गंगाराम अस्पताल के चेस्ट सर्जरी और फेफड़ों के प्रत्यारोपण केंद्र ने एक चिंताजनक प्रवृत्ति देखी है, जिसमें युवा और धूम्रपान न करने वाले व्यक्तियों में फेफड़ों के कैंसर के मामले सामने आ रहे हैं। बिना धूम्रपान करने वालों में फेफड़ों के कैंसर का अनुपात 1980 के दशक में मात्र 10 प्रतिशत था, वहीं पिछले दशक में बढ़कर यह 50 प्रतिशत हो गया है।
पर्यावरण पर भी वायु प्रदूषण से होने वाले नुकसान पर इसमें लिखा है कि जब हम जीवाश्म ईंधन जलाते हैं, तो इससे निकलने वाली नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर ऑक्साइड हवा में अम्ल (एसिड) बनाते हैं। ये अम्ल बारिश, बर्फ या कोहरे के साथ धरती पर गिरते हैं, जिसे अम्लीय वर्षा कहते हैं। यह पेड़ों को नुकसान पहुंचाती है और पानी को मछलियों और अन्य जीवों के लिए खराब बना देती है, साथ ही वन्यजीवों को भी हानि पहुंचाती है।
दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति में सुधार के लिए हम दिल्ली में लगातार ग्रैप-3, ग्रैप-4 की पाबंदियां लगते, हटते देख रहे हैं। इस मौसम में दिल्ली वाले कैसे अपना बचाव करें, इसके लिए हमने कुछ हेल्थ एक्सपर्ट्स से बातचीत की।
बुजुर्गों पर मंडराता COPD का खतरा।
नूर आदर्शनगर के आदर्श हॉस्पिटल में डॉक्टर हैं। वह कहते हैं कि ठण्ड और प्रदूषण का यह मेल हर इंसान के लिए घातक है। खासकर बच्चों, बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों पर इसका असर कई तरीकों से देखा जा सकता है। जैसे सबसे पहले हम सांस संबंधी समस्याओं का बढ़ना देख सकते हैं। सर्दी के इस मौसम में वायु का प्रवाह कम हो जाता है और इस दौरान प्रदूषक तत्व हमारे वायुमंडल में ही फंसे रह जाते हैं, जिससे पीएम 2.5 और पीएम 10 जैसे कण फेफड़ों में गहराई तक पहुंच जाते हैं और इससे बच्चों, बुजुर्गों को सांस लेने में कठिनाई होती है। इस वजह से अस्थमा और ब्रोन्किइक्टेसिस आदि के मामले इन दिनों बढ़ जाते हैं।
इस मौसम में दिल्ली वासियों पर प्रदूषण के नुकसान विषय में बात करते नूर आगे बताते हैं कि इस दौरान बुजुर्गों की शारीरिक प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो सकती है, जिससे वह क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीज़ (COPD) का शिकार हो सकते हैं। COPD में फेफड़ों और श्वसन तंत्र में कई परिवर्तन होते हैं, जो अंततः सांस लेने में कठिनाई का कारण बनते हैं।
वह आगे कहते हैं इसके अलावा ठंड और प्रदूषण के एक साथ बढ़ने से ब्लड प्रेशर का खतरा बढ़ सकता है, क्योंकि इस दौरान नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फ़र डाइऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसें दिल पर प्रभाव डालती हैं। ऐसे में सर्दी, खाँसी, गले में जलन जैसी छोटी बीमारियां भी भयानक रूप ले लेती हैं। पार्कों में भी ज्यादा भीड़ की वजह से धूल होती है जो बच्चों के लिए ठीक नही है। इन दिनों जितना हो सके लोगों को घर में रहना चाहिए और एयर प्यूरीफायर लगाना चाहिए, बाहर निकलने पर n95 मास्क पहनना जरूरी है।
डॉक्टर नूर ने आगे बताया कि इस मौसम में आने वाली सारी हरी सब्जियां स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं, तो इनका सेवन ज़रूर करें. लोगों को अपनी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए विटामिन सी और डी युक्त भोजन करना चाहिए, सब्जियों का जूस अपनी डाइट में शामिल करना जरूरी है।
नूर गले और फेफड़ों की सफ़ाई के लिए गर्म पानी नियमित रूप से पीने की सलाह देते हैं। अपनी बात समाप्त करते वह कहते हैं कि लोगों को समय- समय पर खुद की जांच करवाते रहनी चाहिए, जिससे शरीर में होने वाली किसी भी समस्या की वक्त पर पहचान होकर उसका इलाज हो जाए।
इस मौसम में ज्यादा एक्सरसाइज से बचना होगा।
ऋतु आर्ट ऑफ लिविंग ऑर्गेनाइजेशन से जुड़ी हैं और साथ में वह योग टीचर भी हैं।
दिल्ली के इस मौसम पर ऋतु कहती हैं कि ठंड और प्रदूषण का मेल किसी भी उम्र के इंसान के साथ जानलेवा साबित हो सकता है। प्रदूषित हवा में इंसान कब अपने फेफड़ों का मात्र पंद्रह प्रतिशत उपयोग करने लगता है, इसका उसे पता भी नही चलता। हमें अपने घर में एयर प्यूरीफायर इस्तेमाल करना चाहिए, इस समय हमें अपने घरों में हवन भी करना चाहिए।
इस मौसम में विटामिन डी प्राप्त करने के लिए धूप में बैठना आवश्यक है। बच्चों और बुजुर्गों को फेफड़ों में जमा कालेपन को साफ करने के लिए भाप लेनी चाहिए। वह कहती हैं कि इस मौसम में ज्यादा एक्सरसाइज से बचना चाहिए क्योंकि इससे हमारी सांस लेने की प्रक्रिया तेज हो जाती है और दूषित हवा लेने की वजह से हमें लाभ के बजाए हानि होती है। इस मौसम में हमें ‘ध्यान’ की तरफ जाना होगा क्योंकि इसमें हम आराम से बैठ कर शांति महसूस कर सकते हैं, उस दौरान सांस की प्रक्रिया भी नार्मल रहती है।
ऋतु आगे कहती हैं कि जिन लोगों के लिए संभव है उन्हें इस मौसम में शुद्ध वातावरण वाली जगह जाना चाहिए। कामकाजी लोगों के लिए वह कहती हैं कि उन्हें मास्क का उपयोग करना चाहिए और बाहर के खानपान से दूर रहना चाहिए। जरूरी ही है तो पैक्ड खाना लेना चाहिए। इस मौसम के लिए पहले से ही तैयार रहने के लिए वह सुदर्शन क्रिया करने पर जोर देती हैं। वह बताती हैं कि इस क्रिया से आप अपने फेफड़ों का सत्तर प्रतिशत उपयोग करना सीख सकते हैं, साथ ही आपकी मानसिक स्थिति भी ठीक रहती है। इसके साथ वह सूर्य नमस्कार, नाड़ी शोधन प्राणायाम और कम से कम दस मिनट मौन बैठने पर जोर देती हैं। वह कहती हैं कि मौन बैठने के दौरान हमें टीवी, मोबाइल, किसी दूसरे इंसान से बिल्कुल दूर रहना होगा। यह दस मिनट हमें दिन के बचे हुए 23 घण्टे 50 मिनट तक ऊर्जा देंगे।
दिल्ली के लोगों को इस प्रदूषण की समस्या के लिए एकजुट होना होगा, दीपावली के बाद ही यह समस्या ज्यादा आती है। पटाखों की बिक्री पर पूरी तरह रोक हमें इस संकट से बचा सकती है।
-up18News