चुनावी दंगल में राजनीतिक पार्टियों के वादे के चलते दूसरे राज्य भी प्रभावित हैं. ऐसे में समझना जरूरी है कि आखिर ये ओल्ड पेंशन स्कीम क्या है और इतना हल्ला क्यों मचा है. क्यों ये NPS से अलग है.
चुनावी दंगल और पुरानी पेंशन दोनों को कोई नाता तो नहीं. फिर भी हल्ला मचा है. गुजरात का चुनाव हो या फिर हिमाचल प्रदेश, हर तरफ पार्टियां अपनी चुनावी वादों में पुरानी पेंशन की बहाली पर सियासत कर रही हैं. पेंशन कर्मचारियों की है, जो बहुत बड़ा वोटर वर्ग है. लुभाने के लिए राजनीतिक पार्टियां इसे हथियार बनाए हुए हैं. अब नए सिरे से पुरानी पेंशन योजना को लेकर बहस शुरू हो गई है. पुरानी पेंशन योजना को 1 अप्रैल 2004 को बंद कर दिया गया था और इसे राष्ट्रीय पेंशन योजना (National Pension Scheme) से बदल दिया गया था.
OPS और राजनीति का पुराना नाता
पुरानी पेंशन योजना बहाली के लिए एनएमओपीएस (The National Movement For Old Pension Scheme -NMOPS) के जरिए पूरे देश में राष्ट्रीय आंदोलन चलाया जा रहा है. राज्यों में पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की मांग जारी है. राजस्थान, छत्तीसगढ़ का चुनाव याद कीजिए. चुनावी वादों में पुरानी पेंशन थी और इसे लागू भी किया गया. अब दूसरे राज्यों में भी इस पर चुनावी रंग चढ़ा है. चुनावों में OPS को दोबारा लागू करने का वादा किसी के भी पक्ष में बाजी पलट सकता है. यही वजह है कि पुरानी पेंशन बहाली को लेकर चर्चा काफी जोरों पर है.
पुरानी पेंशन क्यों है खास
पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme -OPS) को दिसंबर 2003 में दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने खत्म कर दिया था. इसके बाद राष्ट्रीय पेंशन योजना (National Pension Scheme-NPS) लागू की गई. एनपीएस 1 अप्रैल, 2004 से प्रभावी है. पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी के आखिरी वेतन का 50 फीसदी पेंशन होती थी. इसकी पूरी राशि का भुगतान सरकार करती थी. वहीं, NPS में उन कर्मचारियों के लिए है, जो 1 अप्रैल 2004 के बाद सरकारी नौकरी में शामिल हुए. कर्मचारी अपनी सैलरी से 10 फीसदी हिस्सा पेंशन के लिए योगदान करते हैं. इसके अलावा राज्य सरकार 14 फीसदी योगदान देती है. पेंशन का पूरा पैसा पेंशन रेगुलेटर PFRDA के पास जमा होता है, जो इसे निवेश करता है.
नई पेंशन स्कीम में मिलते हैं कम फायदे
राज्य स्तर पर ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर आंदोलन चल रहे हैं. पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने के लिए एक मंच पर सरकारी कर्मचारी एकजुट होने लगे हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि विभिन्न विभागों के कर्मचारी संगठनों ने रणनीति बनाई है. इस योजना में पुरानी स्कीम के मुकाबले कर्मचारियों को बहुत कम फायदे मिलते हैं. इससे उनका भविष्य सुरक्षित नहीं है. सेवानिवृत्त होने के बाद जो पैसा मिलेगा, उस पर टैक्स देना पड़ेगा.
क्या है नई पेंशन योजना-NPS?
साल 2004 में सरकार ने राष्ट्रीय पेंशन योजना शुरू की थी. NPS सरकारी कर्मचारियों को निवेश की मंजूरी देता है. इसके तहत वो अपने पूरे करियर में पेंशन खाते में नियमित तौर पर योगदान करके अपने पैसे के निवेश को अनुमति दे सकते हैं. रिटायरमेंट के बाद पेंशन राशि का एक हिस्सा एकमुश्त निकालने की छूट है. बाकी रकम के लिए एन्युटी (Annuity) प्लान खरीद सकते हैं. एन्युटी एक तरह का इंश्योरेंस प्रोडक्ट है. इसमें एकमुश्त निवेश करना होता है. इसे मंथली, क्वॉटरली या सालाना विड्रॉल कर सकते हैं. रिटायर्ड कर्मचारी की मृत्यु तक उसे नियमित आमदनी मिलती है. वहीं, मृत्यु के बाद पूरा पैसा नॉमिनी को मिल जाता है.
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