दिल्ली: श्री दयाल एन हरजानी जी के द्वारा संस्कृति संस्कार के माध्यम से दीपावली का महत्व बताने वाला ऑनलाइन वेबिनार (उपाख्यान 1) आयोजित किया गया । इस कार्यक्रम का संचालन श्रीमती अनीता भाम्भरी जी ने किया । भाविका मीरचंदानी तथा दीपा हेमराजानी द्वारा भी इस कार्यक्रम मे सहभाग लिया गया। I श्री दयाल एन हरजानी जी ने आरम्भ में इस आध्यात्मिक कार्यक्रम हेतु आशीर्वाद दिया ।
इस वेबिनार में दीपावली के आध्यात्मिक महत्व के बारे में बताया गया। सनातन संस्था की दिल्ली की प्रवक्ता कृतिका खत्री ने बताया कि दिवाली यह शब्द दीपावली शब्द से बना है। दीपावली शब्द दीप और पंक्ति ऐसे 2 शब्दों से बना है। इसका अर्थ है दीयों की पंक्ति। दीवाली के दिन सभी जगह दीये लगाए जाते हैं। 14 वर्ष का वनवास समाप्त करके प्रभु श्री राम अयोध्या वापस आए उस समय प्रजा ने दीप उत्सव मनाया तभी से दीपावली का उत्सव शुरू हुआ है।
आश्विन शुक्ल त्रयोदशी को (धनतेरस), आश्विन शुक्ल चतुर्दशी (नरक चतुर्दशी) अमावस्या को लक्ष्मी पूजन और कार्तिक शुद्ध प्रतिपदा को ऐसे 4 दिन दिवाली मनाई जाती है। कई लोग त्रयोदशी को दिवाली ना मना कर अन्य 3 दिन दिवाली मनाते हैं। वसुबारस और भाई दूज यह त्यौहार भी दिवाली के साथ आते हैं, इसलिए इनका समावेश भी दिवाली में किया जाता है। परंतु वस्तुतः यह त्यौहार अलग-अलग है, अपने घर हमेशा लक्ष्मी जी का वास व ज्ञान का प्रकाश हो इसलिए यह त्यौहार सभी लोगों ने आनंद से और शास्त्रोक्त पद्धति से मनाना चाहिए।
इस समय, दिवाली क्या है, दिवाली से पहले घरों की सफाई करना तथा घर सजाने के पीछे क्या कारण है? वसुबारस का महत्व, धनतेरस या धनत्रयोदशी के दिन हम नए चांदी या सोने के आभूषण या सिक्के खरीदते हैं। इस धार्मिक अनुष्ठान के पीछे क्या कारण है? दुनिया भर में हिंदुओं द्वारा धनतेरस कैसे मनाया जाता है? दीपावली से पहले हम इस त्योहार के लिए नए कपड़े खरीदते हैं। हम घर पर तरह-तरह की मिठाइयाँ बनाते हैं और माँ लक्ष्मी जी को अर्पण करते हैं। हम रंगोली भी बनाते हैं। ऐसा करने का आध्यात्मिक महत्व क्या है, कई लोग दिवाली के सभी दिनों में अभ्यंग स्नान करते हैं। यह क्या है? ऐसा करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक लाभ कैसे मिलता है इत्यादि प्रश्नों के उत्तर दिए गए।
दीपावली के पांच दिनों के दौरान, हम अपने घरों, कार्यस्थलों पर दीये जलाते हैं। आजकल हम देखते हैं कि लोग दिए के स्थान पर मोमबत्ती जलाते हैं। साथ ही लोग इलेक्ट्रॉनिक लाइटिंग करते हैं। आध्यात्मिक दृष्टि से इनमें से क्या श्रेष्ठ है ? लक्ष्मी पूजन के दौरान, हम माँ लक्ष्मी से प्रार्थना करते हैं कि वे जीवन भर में हमारे साथ रहें और हम पर अपनी कृपया दृष्टि बनाए रखें। क्या है इस दिन का महत्व? लक्ष्मी पूजन पर विभिन्न प्रकार के कर्मकांडों को करने का क्या महत्व है? लक्ष्मी पूजन के बाद रूप चौदस या नरक चतुर्दशी आती है। इस दिन अन्नकूट और अन्य धार्मिक कृत्य भी किए जाते हैं। इसका आध्यात्मिक महत्व क्या है और हम इसे कैसे करते हैं? दिवाली के बाद, भाई दूज आता है, जो भारत के कई हिस्सों में बहुत अच्छी तरह से मनाया जाता है,यह भाई और बहन के बीच विशेष बंधन के उत्सव का दिन है। इस दिन हम क्या करते हैं और इन कृत्यों का आध्यात्मिक महत्व क्या है? इसके बारे में भी विस्तार से बताया गया। देश विदेश के हिंदुओं ने इस कार्यक्रम का लाभ लिया।
-up18news
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