व्हाइट हाउस ने अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा पर एक बार फिर स्पष्टीकरण दिया है. व्हाइट हाउस की प्रवक्ता कैरिन जॉ पियरे ने कहा है कि स्पीकर को जहाँ उनकी मर्ज़ी हो, वहाँ जाने का अधिकार है.
व्हाइट हाउस की नियमित ब्रीफ़िंग में एक सवाल का जवाब देते हुए कैरिन जॉ पियरे ने कहा- हम सिर्फ़ सहायता प्रदान करते हैं. हम ये फ़ैसला नहीं करते कि वो कहाँ जाती हैं. ये फ़ैसला उनका होता है. जैसा कि आप जानते हैं राष्ट्रपति ख़ुद 36 साल तक सीनेटर थे. वे इस तथ्य को समझते हैं लेकिन उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि इससे अमेरिका की दीर्घकालिक नीति पर कोई असर नहीं पड़ता.
उन्होंने कहा, हमने इसे पूरी तरह स्पष्ट कर दिया है. पेलोसी की ताइवान यात्रा से अमेरिका की नीति नहीं बदलेगी. कैरिन जॉ पियरे ने कहा कि इसलिए चीन को इस यात्रा को एक संकट के रूप में देखने की कोई ज़रूरत नहीं. उन्होंने कहा, चीन को इस यात्रा के बहाने ताइवान स्ट्रेट के आसपास अपनी आक्रामक सैनिक गतिविधियों को बढ़ाने की आवश्यकता नहीं.
उन्होंने ये भी जानकारी दी कि पिछले सप्ताह राष्ट्रपति बाइडन ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बातचीत की थी. ये उनकी पाँचवीं बातचीत थी. उनके बीच बातचीत जारी है और हम चीन से यही चाहे हैं. जी-7 के देशों ने चीन के व्यवहार की आलोचना की थी. अमेरिका भी जी-7 का सदस्य है. इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, हमें पता था कि चीन इसी तरह का व्यवहार करेगा. लेकिन इससे हमारी नीति पर कोई असर नहीं पड़ेगा. उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि अमेरिकी चीन की गतिविधियों पर नज़र रखे हुए हैं.
पिछले दिनों चीन की चेतावनी के बावजूद नैंसी पेलोसी ने ताइवान की यात्रा की थी. चीन अपने वन चाइना नीति के तहत ताइवान को अपना हिस्सा मानता है. लेकिन ताइवान अपने को एक स्वतंत्र देश मानता है. चीन ने पेलोसी की यात्रा के बाद गंभीर परिणामों की चेतावनी दी है. उसने ताइवान की सीमा के पास सैनिक अभ्यास भी शुरू किया है. चीन के कई जेट विमान लगातार ताइवान की वायु सीमा में भी घुस रहे हैं.
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