अमेरिका और ब्रिटेन ने रूस से तेल ख़रीदने पर प्रतिबंध लगाया

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यूक्रेन पर रूसी हमले के विरोध में अमेरिका और ब्रिटेन ने रूस से तेल ख़रीदने पर प्रतिबंध लगा दिया है. वहीं, यूरोपीय संघ रूसी तेल पर अपनी निर्भरता कम कर रहा है.

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि इस क़दम से ‘रूस की अर्थव्यवस्था के बेहद अहम हिस्से’ को चोट पहुँचेगी.
तेल और गैस निर्यात रूस की अर्थव्यवस्था के लिए राजस्व का अहम स्रोत है. लेकिन, रूस के साथ-साथ इस क़दम का प्रभाव पश्चिमी देशों पर भी पड़ने वाला है.

बड़े ब्रैंड पहले ही रूस में अपना कामकाज़ बंद कर चुके हैं. मैकडोनल्ड और कोका-कोला ने हाल ही में रूस छोड़ दिया है.
रूस की अर्थव्यवस्था ऊर्जा निर्यात पर बहुत ज़्यादा निर्भर करती है. वह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक है. उससे पहले सऊदी अरब और अमेरिका आते हैं.

रूस से तेल ख़रीद पर रोक से पहले रूस ने चेतावनी दी थी कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए इसके भयावह परिणाम हो सकते हैं. वह जर्मनी की मुख्य गैस पाइपलाइन को आपूर्ति रोक देगा.

अमेरिका और ब्रिटेन के इस फ़ैसले के बाद दोनों देशों में तेल की क़ीमतें रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ गई हैं.

ब्रिटेन 2022 के अंत तक लगाएगा प्रतिबंध

अमेरिका राष्ट्रपति जो बाइडन पर इस फ़ैसले के लिए दोनों पार्टियों की तरफ़ से दबाव था. रूस के ख़िलाफ़ और सख़्त क़दम उठाने की मांग हो रही थी.

राष्ट्रपति बाइडन ने कहा, ‘‘हम रूस से तेल, गैस और ऊर्जा का पूरा आयात बंद कर रहे हैं.’’

हालांकि, उन्होंने ये भी माना का इस क़दम का अमेरिका पर भी असर पड़ेगा. इसके लिए उन्होंने सहयोगियों से बात कर ली है.

इसी तरह ब्रिटेन भी साल 2022 के अंत तक रूस से तेल आयात पर चरणबद्ध तरीक़े से प्रतिबंध लगा देगा.

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने माना कि इस क़दम से रूस पर तुरंत कोई असर नहीं पड़ेगा लेकिन उस पर और दबाव ज़रूर बनेगा. जो आर्थिक प्रतिबंध लगाए गए हैं उनसे रूस की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित होगी.

अमेरिका में तेल और परिष्कृत उत्पादों का 8 प्रतिशत आयात रूस से होता है वहीं, ब्रिटेन में तेल का करीब 6 प्रतिशत आयात रूस से होता है.

अमेरिका और ब्रिटेन से अलग यूरोपीय संघ ने प्रतिबंध लगाने की बजाए ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत अपनाने का फ़ैसला किया है. उसका मक़सद साल 2030 तक यूरोप को रूस से मिलने वाले ऊर्जा उत्पादों पर निर्भरता कम करना है.

वहीं, यूक्रेन और रूस के बीच अब भी संघर्ष जारी है. रूस यूक्रेन के कुछ इलाक़ों पर नियंत्रण कर चुका है लेकिन राजधानी कीएव पर कब्ज़े के लिए लड़ाई चल रही है.

-एजेंसियां


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