Agra News: एसएन में टीबी मरीजों के लिए शुरू हुआ यूपी का पहला डेडिकेटेड आईसीयू

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– गंभीर टीबी मरीजों की डेडिकेटेड आईसीयू में बचाई जा सकेगी जान

– चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण विभाग की महानिदेशक ने किया उद्धाटन

आगरा: एसएन मेडिकल कॉलेज के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में शुक्रवार को महानिदेशक, चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण, उत्तर प्रदेश किंजल सिंह ने यूपी की पहली समर्पित ड्रग रेजिस्टेंस ट्यूबरकुलोसिस रेस्पिरेटरी इंटेंसिव केयर यूनिट(आईसीयू) का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर उन्होंने बताया कि टीबी उन्मूलन प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए, 7 दिसंबर 2024 को टीबी उन्मूलन पर 100-दिवसीय गहन अभियान शुरू किया गया था। इस अभियान के तीन महत्वपूर्ण लक्ष्य हैं। पहला- सामुदायिक जागरूकता और स्क्रीनिंग और परीक्षण पर गहन आईईसी अभियान के माध्यम से सक्रिय क्षय रोगियों का पता लगाना, दूसरा- पोषण के साथ साथ डिफ़्रेंसिएटिव टीबी केयर को लागू करके टीबी से पीड़ित लोगों में मृत्यु को कम करना और तीसरा- घरेलू संपर्कों, पीएलएचआईवी और कमजोर आबादी को टीबी निवारक उपचार प्रदान करके समुदाय में नए टीबी मामलों की घटना को रोकना। इसलिए यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम टीबी इन्सिडेन्स, टीबी से संबंधित मौतों और सोसाइटी में नए टीबी के रोगियों के बनने की घटना को कम करने के लिए अपनी रणनीतियों में तेजी लाकर इस अभियान को एक बड़ी सफलता बनाने के लिए महत्वपूर्ण रूप से भाग लें। यह डेडिकेटेड आईसीयू टीबी के रोगियों में मृत्युदर कम करने में अत्यंत सहायक होगा।

मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डा प्रशांत गुप्ता ने बताया कि ड्रग रेजिस्टेंस ट्यूबरकुलोसिस के गंभीर रोगियों के लिए प्रदेश में किसी भी मेडिकल कॉलेज में अभी तक कोई भी आईसीयू नहीं था। एस.एन. मेडिकल कॉलेज, आगरा में स्थापित डीआर टीबी वार्ड अब तक आठ हज़ार से ज़्यादा ड्रग रेजिस्टेंस ट्यूबरकुलोसिस रोगियों का उपचार कर चुका है। इस आईसीयू के माध्यम से ऐसे रोगियों के उपचार में नई दिशा मिलेगी।

रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष तथा स्टेट टास्क फ़ोर्स फॉर टीबी एलीमिनेशन, उत्तर प्रदेश के चेयरमैन प्रोफेसर गजेंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि आज टीबी का उपचार उपलब्ध होने के बावजूद भी लगभग 12. 5 लाख मौत विश्व में टीबी के कारण होती है जिनमे से भारत में ही लगभग 26% मृत्यु टीबी से होती है।

इन मौतों के विश्लेषण से पता चलता है कि अधिकांश मौत ड्रग रेजिस्टेंस ट्यूबरकुलोसिस ( एमडीआर, प्रीएक्सडीआर और एक्सडीआर) में होती है। यद्यपि केंद्र एवं राज्य सरकारों के प्रयासों से आज बहुत प्रभावी उपचार इन रोगियों को निःशुल्क उपलब्ध है फिर भी इन ड्रग रेजिस्टेंस ट्यूबरकुलोसिस ( एमडीआर, प्रीएक्सडीआर और एक्सडीआर) रोगियों में उपचार से केवल 65-7o% तक ही सफलता मिलती है।

अनेक रोगियो को समर्पित ड्रग रेजिस्टेंस ट्यूबरकुलोसिस रेस्पिरेटरी इंटेंसिव केयर यूनिट की आवश्यकता होती है जिससे जीवन बचाया जा सके।

डा सिंह ने बताया कि एस.एन. मेडिकल कॉलेज, आगरा का पुनर्निर्मित रेस्पिरेटरी मेडिसिन वार्ड संक्रमण रोकथाम और नियंत्रण (आईपीसी) उपायों के हिस्से के रूप में हेपा (एच.ई.पी.ए.) फिल्टर को शामिल करने वाला राज्य का पहला रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग है।