उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य विधानसभा में समान नागरिक संहिता उत्तराखंड 2024 विधेयक पेश किया है, जो किअब राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद कानून बन जाएगा.
समान नागरिक संहिता विधेयक पास होने के बाद कानून बन जाएगा. इसके साथ ही देवभूमि उत्तराखंड देश में यूसीसी लागू करने वाला आजादी के बाद पहला राज्य होगा. सूत्रों के अनुसार, मसौदे में 400 से ज्यादा धाराएं हैं, जिसका लक्ष्य पारंपरिक रीति-रिवाजों से पैदा होने वाली विसंगतियों को दूर करना है. समान नागरिक संहिता के प्रबल हिमायती एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय के मुताबिक, समान नागरिक संहिता लागू नहीं होने से कई समस्याएं हैं. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
कुछ कानून में बहु विवाह करने की छूट है. चूंकि हिंदू, ईसाई और पारसी के लिए दूसरा विवाह अपराध है और सात वर्ष की सजा का प्रावधान है. इसलिए कुछ लोग दूसरा विवाह करने के लिए धर्म बदल लेते हैं. समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के लागू होने के बाद बहुविवाह पर रोक लगेगी. बहुविवाह पर भी पूरी तरह से रोक लग जाएगी.
विवाह की न्यूनतम उम्र कहीं तय तो कहीं तय नहीं है. एक धर्म में छोटी उम्र में भी लड़कियों की शादी हो जाती है. वे शारीरिक व मानसिक रूप से परिपक्व नहीं होतीं, जबकि अन्य धर्मों में लड़कियों के 18 और लड़कों के लिए 21 वर्ष की उम्र लागू है. कानून बनने के बाद युवतियों की शादी की कानूनी उम्र 21 साल तय हो जाएगी.
इसके साथ ही लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों के लिए रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा. समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद उत्तराखंड में लिव इन रिलेशनशिप का वेब पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा. रजिस्ट्रेशन न कराने पर युगल को छह महीने का कारावास और 25 हजार का दंड या दोनों हो सकते हैं. रजिस्ट्रेशन के तौर पर जो रसीद युगल को मिलेगी उसी के आधार पर उन्हें किराए पर घर, हॉस्टल या पीजी मिल सकेगा.
यूसीसी में लिव इन रिलेशनशिप को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है. इसके मुताबिक, सिर्फ एक व्यस्क पुरुष व वयस्क महिला ही लिव इन रिलेशनशिप में रह सकेंगे. वे पहले से विवाहित या किसी अन्य के साथ लिव इन रिलेशनशिप या प्रोहिबिटेड डिग्रीस ऑफ रिलेशनशिप में नहीं होने चाहिए. पंजीकरण कराने वाले युगल की सूचना रजिस्ट्रार को उनके माता-पिता या अभिभावक को देनी होगी.
कानून लागू होने के बाद विवाह पंजीकरण कराना होगा. अगर ऐसा नहीं कराया तो किसी भी सरकारी सुविधा से वंचित होना पड़ सकता है. चार खंडों में 740 पृष्ठों के इस मसौदे को सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त जज जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय समिति ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री को सौंपा था.
उत्तराखंड सरकार के यूसीसी की मुख्य बिंदु
सभी धर्मों में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल होगी
पुरुष-महिला को तलाक देने के समान अधिकार मिलेगा.
लिव इन रिलेशनशिप डिक्लेयर करना जरूरी है.
लिव इन रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर 10 हजार रुपए का जुर्माना होगा.
लिव-इन में पैदा बच्चों को संपत्ति में समान अधिकार है.
महिला के दोबारा विवाह में कोई शर्त नहीं है.
अनुसूचित जनजाति दायरे से बाहर हैं.
बहु विवाह पर रोक, पति या पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी नहीं हो सकती है.
शादी का रजिस्ट्रेशन जरूरी बिना रजिस्ट्रेशन सुविधा नहीं है.
उत्तराधिकार में लड़कियों को बराबर का हक मिलेगा.
लागू होने के बाद क्या होगा?
हर धर्म में शादी, तलाक के लिए एक ही कानून होंगे.
जो कानून हिंदुओं के लिए, वही दूसरों के लिए भी हैं.
बिना तलाक एक से ज्यादा शादी नहीं कर पाएंगे.
मुसलमानों को 4 शादी करने की छूट नहीं रहेगी.
क्या नहीं बदलेगा?
धार्मिक मान्यताओं पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा.
धार्मिक रीति-रिवाज पर असर नहीं है.
ऐसा नहीं है कि शादी पंडित या मौलवी नहीं कराएंगे.
खान-पान, पूजा-इबादत, वेश-भूषा पर प्रभाव नहीं है.
– एजेंसी
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