यूपी के लखीमपुर खीरी में जल जीवन मिशन के तहत भ्रष्टाचार के सीमेंट-गारे से बनी पानी की टंकी टेस्टिंग में ही भरभरा के फ़टी, जिम्मेदार लीपापोती में जुटे

Regional

लखनऊ। केंद्र सरकार का ‘हर घर को नल से जल’ पहुंचाने का दावा सिर्फ कागाजों में ही पूरा हो रहा है, जबकि इसकी जमीनी हकीकत इससे काफी दूर है। इससे साफ है कि, उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस महत्वाकांक्षी योजना में प्रमुख सचिव नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग अनुराग श्रीवास्तव सिर्फ आंकड़े पेश कर रहे हैं, जबकि जमीनी पर वो काम करने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। प्रमुख सचिव अनदेखी के कारण ही यूपी के ज्यादातर गांवों में ये योजना परवान नहीं चढ़ पा रही है और लोगों को शुद्ध जल नहीं मिल पा रहा है।

योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति  सिर्फ कागजों तक ही सीमित

यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार दावा करती है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति का दावा जल जीवन मिशन योजना में करोड़ों रुपये भ्रष्टाचार के खेल में हवा-हवाई की साबित हो रहा है। इस योजना में सारे काम नियम कानून ताख पर रखकर अधिका​री कार्य कर रहे हैं। जल जीवन मिशन योजना भ्रष्टाचार की खबरें आए दिन उजागर होती रहती हैं, लेकिन सरकार के तरफ से भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कोई ऐक्शन लिए जाने के बजाए ठंडे बस्ते में डाल दी जाती हैं। ऐसे में एक बात साफ हो जाती है कि योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति सिर्फ कागजों तक ही सीमित है। यथार्थ से उसका कोई नाता नहीं है।

केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन मिशन के तहत लखीमपुर खीरी जिले में ग्राम पंचायत शेखपुरा में बनी पानी की टंकी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई। महज तीन माह पूर्व तैयार हुई यह टंकी अचानक फट गई। गनीमत ये रही कि घटना के समय पंप ऑपरेटर बाहर था और कोई जनहानि नहीं हुई। ग्रामीणों का कहना है कि अक्सर लोग दोपहर में इस टंकी के पास आराम करते थे, अगर हादसा कुछ समय बाद होता तो कई लोगों की जान भी जा सकती थी।

उच्चाधिकारियों और केंद्रीय टीमों ने जांच कर क्लीनचिट दे दी थी

जानकारी के अनुसार, इस टंकी का निर्माण कार्य “पूरी ईमानदारी” से मानक के अनुसार पूरा किया गया बताकर उच्चाधिकारियों और केंद्रीय टीमों द्वारा जांच कर क्लीनचिट दे दी गई थी। लेकिन हकीकत कुछ और ही निकली। टंकी की परतें कुछ ही महीनों में उखड़ने लगीं और निर्माण की पोल खुलती चली गई। ग्रामीणों ने बताया कि निर्माण के दौरान घटिया सामग्री का जमकर प्रयोग किया गया था, जिसकी अनदेखी अधिकारियों द्वारा कर दी गई। अब जब टंकी फटी, तो जल जीवन मिशन में हुए भारी भ्रष्टाचार का जीता-जागता उदाहरण ग्राम पंचायत शेखपुरा में देखने को मिल रहा है।

गांव वालों ने मामले की उच्चस्तरीय जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की

घटना के बाद शेखपुरा के ग्रामीणों में भारी रोष है। लोगों का कहना है कि लाखों-करोड़ों रुपये खर्च कर बनाई गई इस योजना में यदि सही निर्माण कार्य हुआ होता तो आज इस तरह की स्थिति नहीं उत्पन्न होती। गांव वालों ने मामले की उच्चस्तरीय जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

प्रशासन मौन, प्रशासनिक स्तर पर  लीपापोती के प्रयास शुरू 

घटना की सूचना संबंधित अधिकारियों तक पहुंचने के बावजूद अब तक किसी ठोस कार्रवाई की खबर नहीं है। प्रशासनिक स्तर पर भी लीपापोती के प्रयास शुरू हो गए हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इस महत्वाकांक्षी योजना का लाभ किसे मिल रहा है? जनता को या भ्रष्टाचारियों को? शेखपुरा जैसी घटनाएं जलजीवन मिशन योजना की जमीनी सच्चाई को उजागर कर रही हैं। अधिशासी अभियंता जल जीवन मिशन योगेंद्र कुमार ने बताया कि टंकी फटी नहीं है ऊपर टैंक की टेस्टिंग चल रही थी जिसमें कुछ कमियां होने पर फट गई है। मौके पर पहुंच रहा हूं, जांच करने पर ही पुष्टि होगी। फिलहाल बाउंड्री वॉल तथा सोलर पैनल पूर्ण रूप से ध्वस्त हो गया है।

टंकी का कुछ माह पहले ही निर्माण कार्य पूरा कराया गया था, इस ओवरहेड टैंक, प्रोजेक्ट की कई टीमों ने जांच की थी। बताते चलें कि योगेंद्र नीरज ने भाई की फर्म को करोड़ों का काम दिलाया। अक्षिता कंस्ट्रक्शन ने जहां-जहां काम कराया वहां जमकर भ्रष्टाचार किया है। एक्सईएन योगेंद्र नीरज 2019 से लखीमपुर में तैनात है । अब अक्षिता कंस्ट्रक्शन के कराए कामों की जांच की मांग उठी है।

जल जीवन मिशन योजना में भ्रष्टाचार की खबरें आए दिन उजागर होती है, फिर भी बीते सात सालों से प्रमुख सचिव की कुर्सी पर जमे हैं अनुराग श्रीवास्तव

एक लाख 80 हजार करोड़ रुपये की जल जीवन मिशन योजना भ्रष्टाचार की परवान चढ़ गई है। पिछले सात साल से इस महत्वाकांक्षी योजना में प्रमुख सचिव नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग अनुराग श्रीवास्तव कुर्सी पर जमे हुए हैं। अब सवाल उठता है कि जल जीवन मिशन योजना में भ्रष्टाचार की खबरें आए दिन उजागर होती रहती हैं, लेकिन यूपी सरकार के तरफ से भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कोई ऐक्शन लिए जाने के बजाए ठंडे बस्ते में डाल दी जाती हैं। इस योजना को जिम्मेदार लोगों से लूट का अड्डा बना दिया है।

-साभार सहित