जंग खत्‍म करने के लिए यूक्रेन के राष्‍ट्रपति ने दिया 10 सूत्री शांति फॉर्म्युला दिया

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अमेरिका समेत पश्चिमी देश चाहते हैं कि स्विटजरलैंड में होने वाली बैठक से पहले भारत और अन्‍य विकासशील देश इस शांति फार्मूले का समर्थन करें। वहीं रूस का कहना है कि यह शांति फार्मूला ‘एकतरफा’ है।

विश्‍लेषकों का कहना है कि रूस के साथ दोस्‍ती की वजह से पश्चिमी देशों के दबाव के बाद भी इस बात की संभावना नहीं है कि भारत जेलेंस्‍की के इस फार्मूले का समर्थन करे। आइए समझते हैं पूरा मामला…

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिमी देश आने वाले कुछ महीने में स्विजरलैंड में एक बैठक करने जा रहे हैं।

इस बैठक में जेलेंस्‍की के इस शांति फार्मूले को पेश किया जाएगा। इस दौरान पश्चिमी देश यह दबाव डालने की कोशिश करेंगे कि भारत समेत ग्‍लोबल साउथ के अन्‍य देश रूस से कहें कि वह यूक्रेनी राष्‍ट्रपति के फॉर्म्युले को स्‍वीकार कर ले।

रूस ने जेलेंस्‍की के इस शांति फार्मूले को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। इससे पहले जनवरी महीने में भी दावोस में भी इसी तरह की बैठक हो चुकी है। इस बैठक में भारत के उप राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार विक्रम मिस्री शामिल हुए थे, वहीं चीन ने इस बैठक से ही किनारा कर लिया था।

भारत का क्‍या रहेगा रुख?

भारत के विदेश मंत्रालय ने कई मौकों पर कहा है कि नई दिल्‍ली सभी पक्षों के बीच सीधी बातचीत का समर्थन करता है ताकि यूक्रेन के संघर्ष को खत्‍म किया जा सकता है। रूसी मीडिया वेबसाइट स्‍पुतनिक से बातचीत में कई विशेषज्ञों का कहना है कि यूरोप के कई नेता लगातार भारत आ रहे हैं और पश्चिमी देश नई दिल्‍ली पर दबाव बनाते रहेंगे ताकि रूस को लेकर वह अपना दृष्टिकोण बदले।

ब्रिगेडियर रिटायर वी महालिंघम कहते हैं कि जहां तक भारत की बात है तो वह पूरे हालात से वाकिफ है। संयुक्‍त राष्‍ट्र में भारत ने यूक्रेन को लेकर स्‍पष्‍ट रूप से और सही तरीके से हर प्रस्‍ताव पर वोट दिया है। उन्‍होंने कहा कि भारत उस तरह का रवैया अपना रहा है जिससे रूसी हितों को नुकसान नहीं पहुंचे।

-एजेंसी


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