उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट सीएम पुष्कर सिंह धामी को सौंप दिया गया है। प्रदेश सरकार की ओर से गठित समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार करने वाली जस्टिस रंजना देसाई कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। अब इस ड्राफ्ट रिपोर्ट को कानूनी जामा पहनाया जा सकता है।
उत्तराखंड सरकार की गठित यूसीसी विशेषज्ञ समिति ने अपनी मसौदा रिपोर्ट प्रस्तुत करने से पहले सीएम पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की। माना जा रहा है कि शनिवार को होने वाली पुष्कर सिंह धामी कैबिनेट की बैठक में यूसीसी ड्राफ्ट रिपोर्ट को मंजूरी मिल जाएगी। इसके बाद इसे 6 फरवरी को विधानसभा में पेश किया जा सकता है।
उत्तराखंड विधानसभा का बजट सत्र 5 फरवरी से शुरू हो रहा है। ऐसे में सत्र की शुरुआत के अगले ही दिन धामी सरकार इतिहास रच सकती है। विधानसभा से अध्यादेश को मंजूरी दिए जाने के बाद इसे राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। राज्यपाल की मंजूरी के बाद उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन जाएगा, जहां समान नागरिक संहिता लागू हो जाएगी।
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने ड्राफ्ट सौंपे जाने के बाद कहा कि हम सभी काफी लंबे समय से ड्राफ्ट का इंतजार कर रहे थे और आज हमें ड्राफ्ट मिल गया है। यूसीसी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट हमें सौंप दी है। अब हम इस मामले में आगे बढ़ेंगे। हम इस मसौदे का परीक्षण करेंगे और सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद इसे राज्य विधानसभा के दौरान रखेंगे। इस पर आगे चर्चा की जाएगी। जस्टिस रंजना देसाई कमिटी की ओर से रिपोर्ट तैयार की गई है।
महिलाओं को मिलेंगे अधिकार
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद महिलाओं के अधिकार बढ़ जाएंगे। प्रदेश में बहु विवाह पर रोक लगेगी। अभी मुस्लिम समाज के पर्सनल लॉ के तहत चार विवाह की इजाजत मिली हुई है। इसके अलावा संपत्ति में अधिकार पर भी बड़ा फैसला हो सकता है। लड़के और लड़कियों का पैत्रिक संपत्ति में अधिकार मिलेगा।
मुस्लिम महिलाओं को भी गोद लेने का अधिकार मिलेगा। गोद लेने की प्रक्रिया सरल की जाएगी। लड़कियों को भी लड़कों के बराबर विरासत का अधिकार दिया जा सकता है। मुस्लिम समुदाय के भीतर इद्दत जैसी प्रथाओं पर प्रतिबंध लग सकता है। वहीं, पति और पत्नी दोनों को तलाक की प्रक्रियाओं को लेकर समान अधिकार मिलेंगे।
लिव इन के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य
यूनिफॉर्म सिविल कोड में सभी वर्ग के लोगों को लिव इन रिलेशनशिप में रहने के लिए रजिस्ट्रेशन को जरूरी किया जाएगा। लिव- इन रिलेशनशिप में रहने वालों को अपनी जानकारी देना अनिवार्य होगा। ऐसे रिश्तों में रहने वाले लोगों को अपने माता- पिता को भी जानकारी देनी होगी।
लिव- इन रिलेशनशिप में रहने वालों के लिए पुलिस में रजिस्ट्रेशन कराना होगा। वहीं, यूसीसी लागू होने के बाद विवाह रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य किया जा सकता है। हर शादी के रजिस्ट्रेशन के लिए गांव- कस्बे में सुविधा दी जाएगी। बिना रजिस्ट्रेशन विवाह अमान्य माने जाएंगे। बिना रजिस्ट्रेशन विवाहित जोड़ों को सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिलेगा।
भरण-पोषण और मुआवजे पर अहम निर्णय
यूसीसी में नौकरीपेशा बेटे की मृत्यु की स्थिति में बुजुर्ग माता- पिता के भरण- पोषण की जिम्मेदारी पत्नी पर दिए जाने का प्रावधान किया जा सकता है। पत्नी को मुआवजा मिलेगा जबकि पति की मृत्यु की स्थिति में अगर पत्नी दुबारा शादी करती है तो उसे मिला हुआ मुआवजा माता- पिता को दिया जाएगा। पत्नी की मृत्यु होने की स्थिति में उसके माता- पिता का सहारा नहीं रहने की स्थिति में उनकी देखरेख की जिम्मेदारी पति पर होगी।
अनाथ बच्चों के लिए संरक्षण की प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा। पति- पत्नी के बीच विवाद के मामलों में बच्चों की कस्टडी उनके दादा-दादी को दिए जाने का प्रावधान दिया जा सकता है। बच्चों की संख्या निर्धारित करने जैसी व्यवस्था यूसीसी में अभी नहीं होने का दावा किया जा रहा है। हालांकि, सरकार इस दिशा में नियम ला सकती है। यूसीसी महिला अधिकारों पर केंद्रित है। इससे आदिवासियों को छूट मिल सकती है।
जस्टिस देसाई की अध्यक्षता में बनी कमेटी
विधानसभा चुनाव 2022 के बाद सीएम धामी ने यूसीसी लागू करने के लिए जस्टिस देसाई की अध्यक्षता में समिति बनाई थी। ड्राफ्ट तैयार करने के लिए मुख्यमंत्री ने समिति का तीन बार कार्यकाल बढ़ाया। इस दौरान समिति ने ऑनलाइन और ऑफलाइन आधार पर जनता से यूसीसी को लेकर सुझाव आमंत्रित किए। ड्राफ्ट कमिटी ने उप समिति बनाकर उन्हें समाज के विशिष्ट लोगों, समाजसेवियों, धार्मिक नेताओं, संतों और जागरूक नागरिकों के साथ चर्चा की और सुझाव लिए।
कमेटी ने राज्य के विभिन्न क्षेत्रों का दौरान किया। ओपन बैठकें में लोगों से सुझाव लिए। कमेटी को करीब ढाई लाख सुझाव प्राप्त हुए। करीब 30 अलग- अलग बैठकों में उसे कई महत्वपूर्ण सुझाव मिले। समिति ने केंद्रीय विधि आयोग के साथ भी यूसीसी पर चर्चा की। इस मैराथन कवायद के बाद समिति ने ड्राफ्ट तैयार किया है।
तीन फरवरी को प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में सरकार यूसीसी की ड्राफ्ट रिपोर्ट पर चर्चा होगी। इस विधेयक को मंजूरी देगी। इसके बाद 5 फरवरी से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र के दौरान यूसीसी विधेयक को सदन पटल पर रखा जाएगा। छह फरवरी को इसे सदन में लाए जाने की संभावना है। सदन से पारित होने के बाद इसे राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। राज्यपाल की मंजूरी के बाद यह अधिनियम बन जाएगा। सियासी गलियारों में यूसीसी का ड्राफ्ट राष्ट्रपति को भेजे जाने को लेकर भी चर्चा चल रही है।
-एजेंसी
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