केन्द्र सरकार की नई शिक्षा नीति प्रदेश के अधिकांश विश्वविद्यालयों में प्रभावशाली ढंग से लागू की जा रही है और उनके शिक्षास्तर में भी काफी बदलाव आया है, किंतु लगता है कि डा भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय प्रशासन को इस संबंध में कोई परवाह नहीं है। स्तरीय शिक्षा के लिये आगरा के छात्रों को अन्य शिक्षा परिसरों में जाना पड रहा है।
–विश्वविद्यालय एक बार पुन: एनएएसी रेटिंग / ग्रेडिंग ( NAAC Rating / Grading) में ग्रेड / स्तर में सुधार के लिये प्रयासरत है, किंतु अपनी व्यवस्थाओं में सुधार बिना किये और अनियमितता पर पर्दादारी का सहारा लेकर। अनियमितताओं और खामियों को प्रस्तुत करने का विधिक और वैद्य माध्यम ‘वि वि सीनेट’’ होती है किंतु विगत कई वर्षों से यह प्रभावी भूमिका में नहीं है।
सिविल सोसायटी ऑफ आगरा मौजूदा स्थितियों में प्रेस के माध्यम से कहना चाहती है कि , विश्वविद्यालय का यह दावा कि 203 सहायक प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर हैं, जो पूरी तरह से गलत है। क्योंकि संख्या को 203 तक ले जाने के लिए 109 अतरिक्त पदों नहीं है। संकायों की प्रकाशित सूची की सावधानीपूर्वक जांच से पता चलेगा कि उल्लिखित कई सहायक प्रोफेसर विश्वविद्यालय में सेवारत रहे या सेवारत महानुभावों के निकट संबधी या उनके रिश्तेदारों आश्रित हैं। जो स्पष्टत:शिक्षा में सुधार के लिये प्रभावी हो चुकी नीति को नजर अंदाज़ कर किया गया कार्य है। रोस्टर का पालन भी इन पदों पर नहीं दिखाई देता है।
–विश्वविद्यालय ने प्रेस में अधिसूचना/विज्ञापन सं 3/2009-स्था द्वारा 53 पदों का जो विज्ञापन दिया था वह अवैध है,राज्यपाल कार्यालय से इस विज्ञापन के बारे में स्पष्ट किया जा चुका है कि इसे महामहिम कार्यालय से अनुमति प्राप्त नहीं थी। डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, आगरा में रिक्त नियमित पदों पर सहायक प्रोफेसर/एसोसिएट प्रोफेसर/प्रोफेसर की भर्ती के लिए 05 मई, 2022 का आरडब्ल्यू/01/2022 के विज्ञापन को हमारे द्वारा चुनौती दी गई थी और जिसके फलस्वरूप माननीय राज्यपाल के कार्यालय ने विश्वविद्यालय के इस दावे का खंडन किया कि विज्ञापन को माननीय राज्यपाल की मंजूरी प्राप्त थी। उपरोक्त के संबध में साक्ष्य प्रस्तुत है। (अनुलग्नक 03 देखें)
-उपरोक्त जानकारी देकर महामहिम से अनुरोध है कि विश्वविद्यालय उच्च एनएएसी ग्रेडिंग/रेटिंग हासिल करने के लिए भ्रामक और तुच्छ जानकारी (fake and frivolous information ) प्रस्तुत कर रहा है।
विश्वविद्यालय के प्रति भावनात्मक लगाव और उसके स्तर में अनवरत तरक्की की कामना रखने वाले नागरिक और पूर्व छात्रों के रूप में हम यह समझने में विफल हैं कि तथ्यात्मक गलत जानकारियां देकर अगर उच्च एनएएसी रेटिंग / ग्रेडिंग ( NAAC Rating / Grading ) विश्वविद्यालय को मिल भी जाती है तो वह उसके प्रशासन में कैसे बदलाव लाएगी और हितधारकों को इससे कैसे लाभ होगा।
-=ग्रेडिंग अपग्रेड करने को विश्वविद्यालय तंत्र जो तौर तरीके अपना रहा है,वह सरकारी धन और व्यवस्था के दुरुपयोग से अधिक कुछ भी नहीं है। इस प्रकार की ग्रेडिंग से विश्वविद्यालय और छात्रों को कोई भला नहीं होने वाला।
राज्य सरकार ही नहीं डीम्ड और निजि प्रबंधन के विश्वविद्यालय तक शासन के द्वारा प्रभावी किये गये एक्ट के तहत संचालित किये जाते हैं ,लेकिन लगता है कि डा भीम राव अम्बेडकर वि वि आगरा को इन कानूनों और संबंधित एक्ट की कोई परवाह ही नहीं है। विवि प्रशासन से जुड़े अधिकारी अपनी मनमर्जी से जो चाहते हैं कर डालते हैं। जो चल रहा है, उससे नहीं लगता कि एनएएसी ग्रेडिंग/रेटिंग से विश्वविद्यालय प्रशासन में सुधार होगा। जनसामान्य तक का मत है कि विश्वविद्यालय अधिनियमों और संविधियों द्वारा चलाया जाता है न कि विश्वविद्यालय के अधिकारियों की व्यक्तिगत धारणाओं और कल्पनाओं द्वारा। कष्टकारी है कि शिक्षाविदों की बहुतायत वाले आगरा महानगर के सबसे पुराने वि वि में घोड़े के आगे गाड़ी जोतने ( putting a cart before the horse) जैसा कारनामा अंजाम दिए जाने की कोशिश बेखौफ की जा रही है।
–विश्व विद्यालय में कितनी अनियमित्ताये है और मनमानी का दौर किस प्रकार चल रहा है, इस पर बहुत कुछ कहा जा सकता है और पूर्व में कहा भी जा चुका है। उपरोक्त अनियमितताओं को दोहराने के स्थान पर इनसे संबंधित अनुलग्नक प्रस्तुत कर रहे हैं। उपरोक्त में से हर साक्ष्य अपने आप में हमारी चिंता का औचित्य बताने को पर्याप्त है।
– इस प्रकार, अपेक्षा की जाती है कि वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितताओं और छात्र हितधारकों के हितों को ध्यान में रखते हुए नाक की ग्रेडिंग / रेटिंग (NAAC grading / rating) कार्यवाही सुधारों के बाद फिर से शुरू करें। यदि, नेशनल असेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन काउंसिल (NAAC) उच्च ग्रेडिंग / रेटिंग अभी प्रदान करती हैं, तो यह विश्वविद्यालय की अनियमितताओं और कुप्रबंधन का महिमामंडन करना होगा। इस अनियमितता को शासन ,प्रशासन ,महामहिम के संज्ञान में लाना और इसके लिए संभव विधिक माध्यमों का आम नागरिक के रूप में Article 19 of the Constitution तहत उपयोग करना अपना दायित्व समझते हैं।
वैसे यहां यह भी उल्लेखित करना चाहते है कि प्रोफेसर गणेशन कन्नबीरण निदेशक, राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद को भी पत्र प्रेषित कर अवगत करवा अपनी आपत्ति दर्ज करवा चुके है।
आज की प्रेस कांफ्रेंस को शिरोमणि सिंह, अनिल शर्मा , राजीव सक्सेना और असलम सलीमी उपस्थित रहे.
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