वाराणसी में आज शहनाई के जादूगर भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां को उनकी जयंती पर याद किया जा रहा है। 21 मार्च 1916 को बिहार के डुमरांव में जन्मे बिस्मिल्लाह खां का इंतकाल 21 अगस्त 2006 को वाराणसी हुआ था।
खां साहब की कब्र पर गीता के श्लोक और कुरान की आयतें गूंजती रहीं। यही नहीं, उनके चाहने वालों ने श्रद्धासुमन भी अर्पित किए। हालांकि हैरानी वाली बात यह है कि बिस्मिल्लाह खां के इंतकाल को 13 साल बीत जाने के बाद भी अब तक उनकी निशानियां संरक्षित नहीं की जा सकी हैं।
बिस्मिल्लाह खां की कई बेशकीमती शहनाइयां चोरी हो चुकी हैं। देखरेख के अभाव में उनके अवॉर्ड्स खराब होने लगे हैं।
हड़हा सराय स्थित आवास के एक कमरे में रखी निशानियां और तमाम अवॉर्ड व पद्म सम्मान देखरेख के अभाव में खराब हो रहे हैं। कई कीमती शहनाई चोरी हो चुकी हैं। पौत्र अफाक हैदर का कहना है कि सरकार को उस्ताद से जुड़ी चीजों को धरोहर मानते हुए संग्रहालय बनाकर संरक्षण करने की दिशा में जल्द कदम उठाना चाहिए।
लोगों ने दी श्रद्धांजलि
सिगरा इलाके में स्थित दरगाह-ए-फातमान में लाल पत्थर से बने मकबरे में उस्ताद की बरसी मनाई गई। कब्र पर फूलों की चादर चढ़ाई गई। अपने अजीज को श्रद्धा के फूल चढ़ाने वालों का पूरे दिन आना जाना लगा रहा। एडीएम सिटी विनय कुमार सिंह, एसपी सिटी दिनेश कुमार सिंह, शहनाई वादक दुर्गा प्रसन्ना, उस्ताद फतेह अली खां और योगेश शंकर के अलावा कई थानों के थानेदार समेत काशीवासियों ने पुष्प चढ़ाकर खां साहब को याद किया।
जरीना ने सुनाए उनके पसंदीदा नौहे
उस्ताद के बेटे नाजिम हुसैन, पौत्र अफाक हैदर, प्रपौत्र मो. अली, प्रपौत्री आयत फातमा, मीनाज फातमा, आशिया फातमा, भतीजे उस्ताद अली अब्बास खां, बेटी जरीना बेगम तथा परिवार के अब्बास मुर्तजा शम्सी, शकील अहमद जादूगर, अब्बास रिजवी आदि ने फातेहा पढ़ी और कुरानख्वानी की। खां साहब के पसंदीदा नौहों को जरीना बेगम ने सुनाया। एडीएम सिटी और एसपी सिटी ने कहा कि बिस्मिल्लाह खां अच्छे संगीतज्ञ के साथ अच्छे इंसान भी थे। भारत एवं भारतीय संस्कृति को उन्होंने विश्व में अपनी शहनाई के माध्यम से सम्मान दिलाया।
शहनाई दंगल का हुआ आयोजन
शहनाई सम्राट की पुण्यतिथि के मौके पर मंगलवार रात कैंट स्थित एक होटल में शहनाई दंगल हुआ। मुंबई और वाराणसी के कलाकारों ने शहनाई वादन कर उस्ताद को श्रद्धांजलि अर्पित की। उस्ताद पर आधारित लघु फिल्म ‘याद-ए-बिस्मिल्लाह’ का प्रदर्शन भी किया गया। उस्ताद की दत्तक पुत्री पद्मश्री सोमा घोष ने कजरी और झूला की प्रस्तुतियों से श्रोताओं को आनंदित किया। इस अवसर पर सोमा घोष एवं यशभारती से सम्मानित तबला वादक उस्ताद नाजिम हुसैन को बिस्मिल्लाह कला रत्न से नवाजा गया।
-एजेंसियां
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