तिब्बती पीएम बोले, दलाई लामा के अवतार पर निर्णय लेने का चीन को नहीं हैं कोई अधिकार

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तिब्बती प्रधानमंत्री पेंपा सेरिंग ने इस संबंध में एक पत्र जारी करते हुआ कहा कि चीन अपने इस तथाकथित कानून के प्रचार प्रसार के लिए विभिन्न कार्यशालाएं व चर्चाएं आयोजित कर रहा है। इस कानून के माध्यम से धर्मगुरु दलाईलामा अवतार प्रक्रिया में अपना अधिकार रखना चाहता है। यह भी एक तथ्य है कि दलाईलामा के अवतार के मुद्दे पर तिब्बती समुदाय के भीतर और बाहर भी चर्चा जारी है। इन सभी पहलुओं को देखते हुए केंद्रीय तिब्बती प्रशासन इस स्थिति पत्र को जारी करते हुए अवतार के बारे में लोगों को बताने का प्रयास किया है।

ये हैं पत्र में मुख्य बिंदु

-धर्मगुरु दलाईलामा के बार बार आश्वासन पर सीटीए को पक्का विश्वास है कि वह 113 वर्ष तक जीवित रहेंगे।

-अवतार वाले आध्यात्मिक गुरुओं एवं प्राणियों को पहचानने की प्रणाली तिब्बती बौद्ध धर्म के लिए अद्वितीय धार्मिक प्रथा है, इस दर्शन के पीछे मूल विचार मृत्यु के बाद जीवन के सिद्धांत को स्वीकार करना है।

-इस मामले पर दलाईलामा के विचारों का पूर्ण समर्थन करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका सहित दुनिया भर के उन स्वतंत्रता-प्रेमी लोकतांत्रिक देशों के प्रति हमारी हार्दिक प्रशंसा और आभार व्यक्त करते हैं। हम अधिक से अधिक समान विचारधारा वाले देशों से समान समर्थन प्राप्त करने के लिए उचित परिश्रम के साथ प्रयास करेंगे।

-दलाईलामा की ओर से अपने अवतार को लेकर 1969 से बार बार दिए गए बयान, 24 सितंबर 2011 की आधिकारिक घोषणा या भविष्य में कोई मार्गदर्शन स्वाभाविक रूप से विवेकाधीन है। इस मामले में किसी सरकार या किसी व्यक्ति को दखल देने का अधिकार नहीं है।

-इस धार्मिक गतिविधि को उन उत्तरदायित्वों के अनुसार संचालित किया जाना है जो परम पावन दलाई लामा की ओर से सौंपे गए हैं, सीटीए को जो जिम्मेदारी सौंपी गई है, उस पर हमें पूरा भरोसा है।

-प्रधानमंत्री होने के नाते इस मुद्दे से संबंधित संबोधित करने की आवश्यकता है।

-एजेंसी


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