यह फैसला हुआ है… न्याय नहीं, प्लेट में सजाकर नहीं देंगे मस्जिद, आखिरी सांस तक लड़ेंगे: एसएम यासीन

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पीठ दीवार से लग चुकी है, वह अब पीछे नहीं हट सकते: एसएम यासीन

एसएम यासीन ने कहा कि इस फैसले के बाद उनकी पीठ दीवार से लग चुकी है, वह अब पीछे नहीं हट सकते हैं। आसानी से तश्तरी (प्लेट) में सजा कर तो नहीं देंगे मस्जिद। उन्होंने कहा कि अब जब इंसाफ नहीं हो रहा है तो सड़क पर आने वाले हालात बन सकते हैं लेकिन वह कानूनी लड़ाई लड़ेंगे। अंतिम क्षण और अंतिम सांस तक कानूनी लड़ाई लड़ेंगे। हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने के सवाल के जवाब में यासीन ने कहा कि उनके लिए सभी दरवाजे अभी खुले हुए हैं। उनकी कमेटी की बैठक के बाद यह निर्णय लिया जाएगा। एसएम यासीन ने बाबरी मस्जिद का फिर से अलपा रागते हुए कहा कि प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट के तहत कार्रवाई होनी चाहिए थी।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की 5 याचिकाएं की खारिज

बता दें कि आज इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के स्वामित्व को लेकर वाराणसी की एक अदालत में लंबित मूल वाद की पोषणीयता और ज्ञानवापी परिसर का समग्र सर्वेक्षण कराने के निर्देश को चुनौती देने वाली सभी 5 याचिकाएं मंगलवार को खारिज कर दी। न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने सुनवाई के दौरान कहा कि वर्ष 1991 में वाराणसी की अदालत में दायर मूल वाद पोषणीय (सुनवाई योग्य) है और यह पूजा स्थल अधिनियम 1991 से निषिद्ध नहीं है। हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष की सभी 5 याचिकाओं को सुनने योग्य माना है।

कोर्ट ने आदेश दिया कि 6 महीने में इसकी सुनवाई पूरी की जाए। वहीं सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड व अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की याचिकाओं को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने 1991 में दाखिल सिविल वाद के ट्रायल को भी मंजूरी दी है।

ये याचिकाएं ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा दायर की गई थीं। इन याचिकाओं में वाराणसी की अदालत के आठ अप्रैल 2021 को दी गई उस व्यवस्था को भी चुनौती दी गई थी, जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण कराने का निर्देश दिया गया था।

Compiled: up18 News


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