रामकाल ! फिर मार डाला गया क्रोंच पक्षी
तमसा नदी के किनारे वाल्मीकि को मिली थी रामायण लिखने की प्रेरणा : अब अमेठी में क्रोंच पक्षी का वियोग भाव फिर चर्चा में
कल शाम से ही यह सारस लापता है, वन विभाग वाले असहाय : आखिर क्यों पकड़ा गया यह निर्दोष सारस
लखनऊ : सारस यानी क्रोंच पक्षी अपने व्यवहार के लिए बेहद सरल, स्नेह और प्रेम को लेकर अद्भुत माना जाता है। अपना जीवन हमेशा एक-दूसरे के प्रति अटूट समर्पित भाव में ही रखता है। एक-दूसरे से विछोह बर्दाश्त कर पाना उनके लिए मुमकिन नहीं होता। एक भी अलग हुआ, तो दूसरा भी अपना प्राण त्याग देता है।
क्रोंच का इतिहास और उसका व्यवहार रामायण काल से भी पुराना है। रामायण में भी इस का वर्णन है। रामायण के अनुसार भारद्वाज और ऋषि वाल्मीकि एक सुबह निर्मल तमसा नदी वाले तीर्थ पर स्नान के लिए गये थे।
यह वह काल था जब रावण-वध के बाद राम का राज्याभिषेक हो चुका था। वाल्मीकि और भारद्वाज ऋषिगण रामायण लिखने के लिए परस्पर विचार-विमर्श कर रहे थे। लेकिन उनको ठोस कथानक नहीं मिल पा रहा था।
उस समय नदी के किनारे एक पेड़ पर क्रौंच पक्षी का एक जोड़ा प्रेम-मग्न था, तभी व्याध ने क्रौंच-युगल पर बाण मार, जिससे नर-क्रोंच के प्राण-पखेरू उड़ गए। घटना देख कर मादा क्रौंच हृदय-विदारक विलाप करने लगी।
इस हृदयविदारक घटना को देखकर वाल्मीकि का हृदय इतना द्रवित हुआ कि उनके मुख से अचानक श्लोक फूट पड़ा
मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगम: शास्वती समा।
यत्क्रौंचमिथुनादेकमवधी: काममोहितम्।।
अर्थात- निषाद। तुझे कभी भी शांति न मिले, क्योंकि तूने इस क्रौंच के जोड़े में से एक की, जो काम से मोहित हो रहा था, बिना किसी अपराध के ही हत्या कर डाली।
और इसी के साथ ही रामायण ग्रन्थ का जन्म हो गया, जिसमे राम द्वारा परित्यक्ता, गर्भिणी सीता भटकती हुई उनके आश्रम में आ पहुंची। बेटी की तरह सीता को उन्होंने अपने आश्रय में रखा। वहां सीता ने दो जुड़वां बेटों, लव और कुश को जन्म दिया। दोनों बच्चों को वाल्मीकि ने शास्त्र के साथ ही शस्त्र की शिक्षा प्रदान की। इन्हीं बच्चों को मुनि ने अपनी लिखी रामकथा याद कराई जो उन्होंने सीता के आने के बाद फिर से लिखनी शुरू की थी और उसे नाम दिया-उत्तरकांड। उसी रामकथा को कुश और लव ने राम के दरबार में अश्वमेघ यज्ञ के अवसर पर सम्पूर्ण रूप से सुनाया था।
उसके बाद यानी कलयुग में क्रोंच पक्षी का वियोग भाव फिर चर्चा में है। कोई एक साल पहले अमेठी में बुरी तरह घायल एक सारस यानी क्रोंच सड़क पर पड़ा दिखा तो गुजरते आरिफ ने उसका इलाज कराया । जल्दी ही वह पक्षी उड़ने लगा। लेकिन इसी बीच क्रोंच का आरिफ के साथ स्नेह इतना गहरा हो गया कि वह आरिफ को देखते ही उसके पास आ जाता था। हालांकि यह पक्षी रहता तो था पास के जंगल-झाड़ में, जहां कई और सारस भी रहते थे, लेकिन आरिफ की आवाज सुनते ही वह फौरन दौड़ पड़ता था। दोनों के प्रति प्रेम का आलम ऐसा था कि आरिफ अपनी बाइक से कई मीलों तक चलता था, और वह क्रोंच पक्षी उसके साथ ही उड़ता और अठखेलियाँ करता रहता था। इन दोनों के बीच मित्रता की घटना देश भर में मशहूर हो गयी। देश भर में लोग आरिफ और सारस की दोस्ती की किस्से कहने लगे। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी आरिफ से मुलाकात की थी और सारस के साथ फोटो भी खिचाए थे।
नफरत के आकंठ में डूबे सत्ताधारी दल को नही रास आया आरिफ और सारस का प्रेम
सारस और आरिफ की बीच का यह प्रेम सत्ताधारी दल को हजम नही हुआ। नफरत में आकंठ डूबे सत्ताधारी दल के नेताओं को प्यार की कोई भी बात अच्छी नहीं लगती है। क्योंकि उनकी राजनीति ही नफरत के सहारे चलती है। जिसकी बुनियाद ही नफरत के आधार पर हो उसे प्रेम कैसे रास आएगा। नफरत की कहानियों को बढ़ा चढ़ाकर प्रसारित करने बाला सत्ताधारी दल प्रेम की एक कहानी बर्दाश्त नहीं कर पाया और अभी एक दिन पहले ही अचानक वन विभाग के बड़े अफसरों ने आरिफ के घर पर छापा मारा। आरिफ को बाध्य किया कि वह जंगल जाकर सारस को बुलाये, ताकि सारस को पक्षीविहार में रखा जा सके। अफसरों ने धमकाया भी कि यह पक्षी प्रतिबंधित श्रेणी का पक्षी है और उसे पालना दंडनीय अपराध है। हुक्म उदूली का मतलब होगा आरिफ को जेल।
वन विभाग वाले उस पक्षी को जबरन अपने साथ ले गए। लेकिन साथ में ले जाते वक्त सारस पक्षी ने खूब विलाप किया। साथ आये वन विभाग के लोगों पर उसने चोंच मार-मार कर घायल कर दिया। लेकिन किसी भी तरह वह सारस वन विभाग वाले अपने साथ ले ही गए।
रामायण काल मे तमसा नदी के निकट व्याध के बाण से मारे गए अपने साथी की विलाप में दूसरे साथी ने अपना प्राण त्याग दिया था। जबकि आरिफ के मित्र क्रोंच पक्षी को वन विभाग के लोगों ने अपने साथ जाकर समसपुर वन विहार में छोड़ तो दिया था, लेकिन आरिफ से विछोह यह क्रोंच पक्षी बर्दाश्त नहीं कर पाया है।
खबर है कि कल शाम से ही यह पक्षी लापता हो गया है, और वन विभाग वाले उसे अब तक खोज नहीं पाये हैं।
तुम करो तो लीला हम करें तो………..
आरिफ से सारस को जबरदस्ती जुदा कर दिया गया। यह कहते हुए कि सारस पक्षी प्रतिबंधित श्रेणी में आता है। यहां प्रश्न यह उठता है कि मोदी जी जिन मोरों को दाना खिला रहे थे वह कहां से लाए गए थे। अगर सारस पक्षी प्रतिबंधित श्रेणी में आता है तो मोर तो राष्ट्रीय पक्षी है क्या उसे पालना प्रतिबंधित श्रेणी में नहीं आता। अगर आरिफ की जगह कोई और होता या सत्ताधारी दल का कोई नेता या कार्यकर्ता होता तो इस प्रेम को बढ़ा चढ़ा कर प्रसारित किया जाता। प्रधानमंत्री मोदी खुद उससे मिलने जाते और सारा का सारा सत्ताधारी दल उसकी पक्षी प्रेम की तारीफें करते नहीं थकता। आरिफ और सारस को अलग करके एक बार फिर सत्ताधारी दल ने दिखा दिया की वे जोड़ने की नही तोड़ने की राजनीति करते हैं।
-साभार अज्ञात
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