प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को आजादी के 75वें स्वतंत्रता दिवस के दिन लाल क़िले से देश को सम्बोधित कर रहे थे। अपने भाषण में प्रधानमंत्री देश की नारियों के सम्मान के क़सीदे पढ़ रहे थे।
आज़ादी के इस अमृत महोत्सव पर जब पीएम मोदी महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान की दुहाई दे रहे थे। ठीक उसी दिन उनकी ही पार्टी भाजपा की गुजरात सरकार ने एक बड़ा फ़ैसला ले लिया।
2002 गुजरात में गोधरा कांड के दौरान बिलकिस बानो गैंगरेप केस में सज़ायाफ्ता दोषी कैदियों को गुजरात सरकार ने रिहा कर दिया।
एक तरफ पीएम मोदी जहां लाल किले से 15 अगस्त के दिन देश की महिला कल्याण के लिए ना जाने क्या क्या नहीं कह रहे थे। ठीक उसी दिन गुजरात की भाजपा सरकार ने अपनी माफी नीति के तहत उन सभी 11 सजायाफ्ता दोषियों को जेल से रिहा कर दिया।
गुजरात सरकार के इस चौंकाने वाले फैसले को लेकर अब विपक्ष पीएम मोदी पर जमकर हमले बोल रहा है।
कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और वर्तमान सांसद राहुल गाँधी ने इस फैसले को लेकर ट्वीट कर लिखा है- “5 महीने की गर्भवती महिला से बलात्कार और उनकी 3 साल की बच्ची की हत्या करने वालों को ‘आज़ादी के अमृत महोत्सव’ के दौरान रिहा किया गया।
नारी शक्ति की झूठी बातें करने वाले देश की महिलाओं को क्या संदेश दे रहे हैं? प्रधानमंत्री जी, पूरा देश आपकी कथनी और करनी में अंतर देख रहा है।”
5 महीने की गर्भवती महिला से बलात्कार और उनकी 3 साल की बच्ची की हत्या करने वालों को 'आज़ादी के अमृत महोत्सव' के दौरान रिहा किया गया।
नारी शक्ति की झूठी बातें करने वाले देश की महिलाओं को क्या संदेश दे रहे हैं?
प्रधानमंत्री जी, पूरा देश आपकी कथनी और करनी में अंतर देख रहा है।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 17, 2022
बता दें कि 2002 के गुजरात दंगे में हज़ारों लोगों की जान चली गयी थी। इस दंगे में अल्पसंख्यक मुस्लिम समाज के सबसे ज्यादा लोगों की मौतें हुई थी।
उन्हीं पीड़ित परिवार में से एक बिलकिस बानो हैं। जिन्हे 3 मार्च 2002 को दाहोद जिले के रंधिकपुर गांव में इनके साथ गैंगरेप हुआ था। यही नहीं, परिवार के सात सदस्यों की भी हत्या कर दी गयी थी। जब यह भयावह कृत्य हुआ उस वक़्त बिलकिस बानो पांच महीने की गर्भवती थी।
बिलकिस बानो के गैंगरेप और उनके परिवार की हत्या करने वाले दोषियों में राधेश्याम शाही, जसवंत चतुरभाई नाई, केशुभाई वदानिया, बकाभाई वदानिया, राजीवभाई सोनी, रमेशभाई चौहान, शैलेशभाई भट्ट, बिपिन चंद्र जोशी, गोविंदभाई नाई, मितेश भट्ट और प्रदीप मोढिया थे।
जिन्हे 2004 में गिरफ्तार किया गया था। बिलकिस बानो डर की वजह से अहमदाबाद की जगह अपने केस को मुंबई के कोर्ट में सुनवाई चाहती थी।
बिलकिस बानो केस की सुनवाई सालों साल चलती रही। इसके बाद 21 जनवरी, 2008 को मुंबई की एक विशेष सीबीआई अदालत ने उन सभी 11 आरोपियों को दोषी पाया था। और इन्हे आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी।
लेकिन 15 अगस्त को, स्वतंतत्रा दिवस पर गुजरात की भाजपा सरकार ने अपने माफ़ी निति की तहत इन सभी 11 सजायाफ्ता दोषियों को जेल से रिहा कर दिया।
साभार – बोलता हिंदुस्तान
Discover more from Up18 News
Subscribe to get the latest posts sent to your email.