राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण National Monuments Authority (NMA) ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ASI से कु़तुब मीनार के परिसर में लगी हिंदू देवता गणेश की दो मूर्तियों को हटाने के लिए कहा है.
अंग्रेजी अख़बार द इंडियन एक्सप्रेस में पहले पन्ने पर छपी ख़बर के मुताबिक एनएमए के अध्यक्ष ने कहा कि ”ये मूर्तियां जहां पर लगी हैं, वो अपमानजनक है…”और उन्हें राष्ट्रीय संग्रहालय में भेज दिया जाना चाहिए.”
पिछले महीने एएसआई को भेजे गए पत्र में एनएमए ने कहा था कि मूर्तियों को राष्ट्रीय संग्रहालय में “सम्मानजनक” स्थान दिया जाना चाहिए, जहां ऐसी प्राचीन वस्तुओं को प्रदर्शित करने का प्रावधान हो.
एनएमए और एएसआई दोनों ही संस्कृति मंत्रालय के तहत आते हैं.
अख़बार के मुताबिक एएसआई के अधिकारियों ने इस मामले पर कोई टिप्प्णी नहीं की है लेकिन एनएमए प्रमुख तरुण विजय ने इस पत्र की पुष्टि की है.
तरुण विजय बीजेपी नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद भी हैं. उन्होंने कहा, ”मैं कई बार उस जगह पर गया हूं और महसूस किया है कि मूर्तियों की जगह अपमानजनक है. वो मस्जिद में आने वाले लोगों के पैरों में आती हैं.”
उन्होंने कहा, ”स्वतंत्रता के बाद हमने उपनिवेशवाद के निशान मिटाने के लिए इंडिया गेट से ब्रितानी राजाओं और रानियों की मूर्तियां हटाई हैं और सड़कों के नाम बदले हैं. अब हमें उस सांस्कृतिक नरसंहार को उलटने के लिए काम करना चाहिए जो हिंदुओं ने मुगल शासकों के हाथों झेला था.”
कौन-सी हैं दो मूर्तियां
इन दो मूर्तियों को ”उल्टा गणेश” और ”पिंजरे में गणेश” कहा जाता है और ये 12वीं सदी में स्मारक क़ुतुब मीनार के परिसर में लगी हैं.
‘उल्टा गणेश’ मूर्ति, परिसर में बनी कु़व्वत-उल-इस्लाम मस्जिद की दक्षिण की ओर बनी दीवार पर लगी है. दूसरी मूर्ति में लोहे के पिंजरे में कैद गणेश इसी मस्जिद में ज़मीन के पास लगे हैं.
विजय ने कहा, ”ये मूर्तियां राजा अनंगपाल तोमर के बनाए 27 जैन और हिंदू मंदिरों को तोड़कर लाई गई थीं. इन मूर्तियों को जो जगह दी गई है वो भारत के लिए अवमानना का प्रतीक है और उसमें सुधार की ज़रूरत है.”
-एजेंसियां
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