सोमवार को एक और याचिका दायर करेंगे विश्वनाथ मंदिर के अंतिम सेवारत महंत

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उत्तर प्रदेश के वाराणसी में इस समय ज्ञानवापी मस्जिद का मुद्दा काफी गरमाया हुआ है। वाराणसी कोर्ट के आदेश पर गठित कोर्ट कमिश्नर की टीम के सर्वे में मस्जिद के वजुखाने में शिवलिंग मिलने के मामले ने हलचल बढ़ाई हुई है। एक तरफ सोमवार से जिला जज की कोर्ट में ज्ञानवापी मस्जिद विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत सुनवाई शुरू होनी है। दूसरी तरफ, काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने ज्ञानवापी मस्जिद में एक और शिवलिंग होने का दावा कर हलचल बढ़ा दी है। पूर्व महंत का दावा है कि उन्होंने मस्जिद की पश्चिमी दीवार की एक सेल्फ में छोटा शिवलिंग देखा था।

पूर्व महंत ने ज्ञानवापी मस्जिद में छोटा शिवलिंग रहने के संबंध में कोर्ट की ओर से नियुक्त कमिटी को भी जानकारी दी थी और इसको देखने के लिए कहा था। हालांकि, अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमिटी की ओर से कुलपति तिवारी के दावों को खारिज कर दिया है।

मस्जिद प्रबंधन समिति के एक पदाधिकारी ने इस दावे को निराधार बताया है। डॉ. तिवारी ने कोर्ट की ओर से नियुक्त सर्वेक्षण टीम के वजुखाने के सर्वे के दौरान शिवलिंग की संरचना जैसी चीज के पाए जाने के बाद यह दावा किया है। कोर्ट की ओर से पांच महिलाओं के माता श्रृंगार गौरी की दैनिक पूजा की याचिका पर सर्वे कराने के आदेश के बाद वाराणसी में माहौल काफी गरमाया हुआ है।

तस्वीर के साथ किया दावा

कुलपति तिवारी ने वर्ष 2014 में खींची गई तस्वीर को दिखाते हुए इसके ज्ञानवापी मस्जिद की पश्चिमी दीवार के सेल्फ में रहने का दावा किया। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि यह शिवलिंग अभी भी उसी स्थान पर मौजूद है, या हटा दिया गया है। मैं सक्षम अधिकारियों से इसे स्पष्ट करने की मांग करता हूं। 1983 में सरकार द्वारा नियुक्त ट्रस्ट द्वारा प्रबंधन संभालने से पहले काशी विश्वनाथ मंदिर के अंतिम सेवारत महंत ने कहा कि दीवारों पर कमल के फूलों और घंटियों के चित्र भी देखे जा सकते हैं।

एक अन्य तस्वीर में कुछ बच्चों को ज्ञानवापी परिसर के उस हिस्से में खेलते दिखाया गया है, जहां श्रृंगार गौरी का मंदिर स्थित है। उन्होंने दावा किया कि एक अन्य तस्वीर में ज्ञानवापी ढांचे की पिछली दीवार साफ दिखाई दे रही है, जो किसी प्राचीन मंदिर की लगती है। डॉ. तिवारी ने कहा कि ज्ञानवापी का अर्थ है ‘ज्ञान का कुआं’, जिसे वजु के तालाब के रूप में दिखाया जा रहा है।

पूर्व महंत ने किए हैं कई दावे

पूर्व महंत ने दावा किया कि वजु का तालाब के पीछे नंदी और भगवान हनुमान की मूर्ति दिखाई दे रही है, जिसे स्वयं भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से बनवाया था। इसमें स्नान करने के बाद देवी पार्वती भगवान विश्वेश्वर (शिव के दूसरे नाम) की पूजा करती थीं। उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण के दौरान मिले शिवलिंग की पूजा लोगों को करने देने के लिए वह सोमवार को याचिका दायर करेंगे।

उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी परिसर में पाए जाने वाले शिवलिंग को ऐसे ही छोड़ा नहीं जा सकता है। वर्ष 1983 में सरकार की ओर से बनाए गए ट्रस्ट के प्रबंधन संभालने से पहले डॉ. तिवारी काशी विश्वनाथ मंदिर के अंतिम सेवारत महंत थे। उनका दावा है कि उन्होंने वर्ष 2014 में तस्वीरों को क्लिक किया था।

डॉ. कुलपति तिवारी के दावे का खंडन करते हुए मस्जिद कमिटी के संयुक्त सचिव एसएम यासीन ने कहा कि उनका दावा निराधार है। ज्ञानवापी परिसर की दीवार पर कोई सेल्फ नहीं है। हम नहीं जानते कि वह किस तस्वीर के बारे में बात कर रहे हैं। उन्होंने इस प्रकार निराधार दावों से बचने की सलाह दी, क्योंकि इससे शांति और सद्भाव के बिगड़ने का खतरा हो सकता है।

-एजेंसियां


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