अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का काम तेज़ी से आगे बढ़ रहा है. मंदिर निर्माण के पहले चरण यानी चबूतरे का काम पूरा होने के बाद बुधवार से दूसरे चरण के तहत गर्भ गृह के निर्माण का काम शुरू होगा. इस मौके पर गर्भ गृह का पहला पत्थर स्थापित किया जाएगा.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास, महामंत्री चंपत राय समेत क़रीब 250 साधु संत, राजनैतिक हस्तियां और गणमान्य लोग मौजूद रहेंगे. पहले पत्थर के स्थापित होने के बाद साल 2023 दिसम्बर तक गर्भ गृह का काम पूरा हो जाएगा और उम्मीद है कि 2024 की जनवरी में मकर संक्रांति के दिन रामलला अपने मन्दिर में स्थापित हो जाएं.
राम मंदिर का सुप्रीम कोर्ट से फ़ैसला भले 9 नवंबर 2019 को आया हो लेकिन मंदिर निर्माण की तैयारियां 1989 से शुरू हो गई थी. 1989 में शिला पूजन/शिला न्यास के साथ सबसे पहले रामभक्तों से ईंट मांगे गए.
इसके अगले साल यानी सितंबर 1990 में अयोध्या में विश्व हिंदू परिषद की कार्यशाला की स्थापना की गई. इस कार्यशाला में गुलाबी पत्थर लेकर मंदिर निर्माण के लिए पत्थर तराशने का काम शुरू कर दिया गया. पहले के राम मंदिर के डिज़ाइन के हिसाब से फ़ैसला आने तक 60 से 65 फ़ीसदी काम पूरा हो गया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट का राम मंदिर के पक्ष में फ़ैसला आने के बाद डिज़ाइन में परिवर्तन कर मन्दिर के स्वरूप को बड़ा कर दिया गया. ऐसे में अब कुल 40 फ़ीसदी पत्थर का काम पूरा हो सका है.
गुलाबी पत्थरों से बनाये जा रहे राम मंदिर का गर्भ गृह का काम बुधवार से शुरू हो रहा है. ये पिंक सैंड स्टोन राजस्थान के भरतपुर के बंसी पहाड़ के हैं. इन पर नागर शैली की कलाकृति उकेरी जा रही है। पहले इन पत्थरों का काम पूरी तरह हाथ से होता था लेकिन अब चूंकि मंदिर निर्माण के काम में तेज़ी आयी है, इसलिए अब मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है. मंदिर के पुराने डिज़ाइन में ऊंचाई 128 फुट, चौड़ाई 140 फुट और लंबाई 255 फुट होना था. हालांकि डिज़ाइन में बदलाव के बाद अब मन्दिर की ऊंचाई 161 फुट, चौड़ाई 255 फुट और लंबाई 350 फुट होगी. मंदिर में कुल 4 लाख घन फुट पत्थर लगाए जाएंगे. पहले के डिजाइन में एक लाख 75 हज़ार घन फुट पत्थर लगने थे.
अगस्त 2020 में किया गया था शिलान्यास
अयोध्या के भगवान राम मंदिर निर्माण में उपयोग में लाये जाने वाले पत्थर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पहले हाथों से गढ़े जाते थे. हालांकि अगस्त 2020 में शिलान्यास के बाद मंदिर निर्माण में तेज़ी और बड़े आकार की वजह से इन पत्थरों को गढ़ने का काम अब मशीन से किया जा रहा है. अयोध्या के राम कथा कुंज में क़रीब 180 पत्थर रखे हैं जिनपर नक्काशी का काम मशीन और हाथ से किया जा रहा है. एक पत्थर पर 2 कारीगर नक्काशी का काम करते हैं. इन पर पहले मशीन से आकृति बनाई जाती है और उसके बाद हाथ से उनको उकेरने का काम किया जाता है. पत्थर गढ़ने वाले कारीगर ने बताया कि अगर 2 कारीगर एक पत्थर पर काम करें तो क़रीब 2 महीने में पत्थर का काम पूरा होगा. वर्तमान में कुल 20 कारीगर काम पर लगे हैं, जिनकी संख्या आने वाले दिनों में बढ़कर 100 तक जा सकती है.
विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा कि उन्होंने 1989 के शिला पूजन से लेकर कार्यशाला स्थापना और अब तक के सभी आयोजनों को देखा है. शरद शर्मा ने बताया कि ये गुलाबी पत्थर राजस्थान से मंगाए गए हैं और इनकी उम्र वैज्ञानिकों के मुताबिक़ 1000 साल है. उन्होंने बताया कि दिसम्बर 2023 तक गर्भ गृह का काम पूरा हो जाएगा. इसके बाद कोशिश है कि जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के दिन रामलला विराजमान हो जाएं. शरद शर्मा के मुताबिक़ कार्यशाला में पत्थर रखे गए हैं और धीरे धीरे इन्हें राम जन्मभूमि परिसर में भेजा जाएगा.
भव्य मंदिर की कल्पना कर हो रही खुशी
शरद ने बताया कि विश्व हिंदू परिषद की कार्यशाला में जबसे पत्थर गढ़ने का काम हो रहा है तभी से अयोध्या आने वाले श्रद्धालु कार्यशाला में पत्थर देखने ज़रूर आते हैं. इन पत्थरों को देखकर लोग भव्य राम मंदिर कैसा होगा, इसकी कल्पना करके ही ख़ुश हो जाते हैं. कर्नाटक और महाराष्ट्र से आये ऐसे ही कुछ श्रद्धालुओं से जब हमने पूछा तो उन्होंने कहा कि अभी पत्थर देखने आए हैं और जब मंदिर बन जायेगा तब फिर रामलला को उनके घर में देखने आएंगे. लोग पत्थरों को देखकर बेहद खुश हैं और मानते हैं कि बहुत जल्द रामलला का भव्य और दिव्य मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा.
-एजेंसियां
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