हिमाचल में भाजपा के सत्ता से बाहर होने और कांग्रेस के काबिज होने के बाद मोदी सरकार ने लोन लेने की सीमा में 5500 करोड़ रुपए की कटौती की है। यानी 2023-24 में सुक्खू सरकार 9000 करोड़ रुपए का ही कर्ज ले पाएगी। इससे 76 हजार करोड़ रुपए से भी ज्यादा के कर्ज में डूब चुकी हिमाचल सरकार की आर्थिक सेहत बिगड़ना तय है। इसे लेकर कैग भी हिमाचल को पहले ही चेता चुका है।
राज्य की लोन लेने की सीमा की शर्त नहीं हटाई गई तो आने वाले कुछ महीनों बाद कर्मचारियों व पेंशनर को सैलरी और पेंशन का भुगतान तक करना चुनौतीभरा हो जाएगा, क्योंकि राज्य के पास अपनी आय के सीमित साधन है। वहीं केंद्र सरकार एक के बाद एक झटके दे रही है।
मैचिंग ग्रांट भी बंद
NPA के बदले हिमाचल को हर साल मिलने वाली मैचिंग ग्रांट भी केंद्र सरकार ने बंद कर दी है। राज्य सरकार हर साल मार्च में 1780 करोड़ रुपए NPA के तौर पर PFRDA के पास जमा कराता था, लेकिन इस साल अप्रैल से हिमाचल में OPS बहाल कर दी गई है। इसलिए अप्रैल 2023 से NPA में स्टेट और कर्मचारियों का शेयर PFRDA के पास जमा नहीं होगा। इसे देखते हुए मोदी सरकार ने इसकी मैचिंग ग्रांट भी रोक दी है।
GST प्रतिपूर्ति राशि जून 2022 से ही बंद
GST प्रतिपूर्ति राशि के तौर पर मिलने वाले 3500 करोड़ से ज्यादा का बजट भी जून 2022 से बंद है। इसके विपरीत कांग्रेस ने जनता से ऐसे वादे कर रखे हैं, जिन्हें पूरा करने के लिए कांग्रेस को करोड़ रुपए की अतिरिक्त की जरूरत होगी,ताकि NPS कर्मचारियों को OPS दी जा सके, महिलाओं को 1500 रुपए, किसानों का दूध 80 व 100 रुपए में खरीदा जा सके।
वित्त मंत्री से कुछ देर में मुख्यमंत्री की मीटिंग
राज्य के नए चीफ जस्टिस के शपथ ग्रहण समारोह के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू दोपहर बाद दिल्ली रवाना हो गए। कुछ देर बाद उनकी दिल्ली में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीता रमण से मीटिंग तय है। इसमें राज्य की लोन की सीमा की शर्त हटाने, NPA की मैचिंग ग्रांट और GST प्रतिपूर्ति राशि बहाल करने की मांग रखी जाएगी। उन्होंने लोन की लिमिट कम करने और मैचिंग ग्रांट रोकने के दुर्भाग्यपूर्ण बताया।
Compiled: up18 News