सुप्रीम कोर्ट ने साल 2000 में लाल किले पर हुए हमले के मामले में लश्कर आतंकी मोहम्मद आरिफ़ उर्फ अशफ़ाक को मिला मृत्यु दंड बरकरार रखा है. इस हमले में तीन लोगों की मौत हुई थी जिसमें सेना के दो जवान भी शामिल थे. चीफ़ जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने आरिफ़ की याचिका को खारिज किया है.
ये फ़ैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा– ‘उनका दोष सिद्ध हो चुका है. हम इस अदालत के रुख से सहमत हैं और इस फ़ैसले पर पुनर्विचार करने के लिए दायर की गयी याचिका खारिज करते हैं.’
आख़िर क्या है मामला
सुप्रीम कोर्ट ने साल 2011 में भी इस मामले में आरिफ़ की फांसी की सज़ा को बरकरार रखा था. जांच एजेंसियों ने बताया था कि दो आतंकवादी 22 दिसंबर की रात लाल किले में घुसे थे जो उस दौर में लाल किला भारतीय सेना का गैरिसन हुआ करता था। यहां बंदूकधारियों ने भागने से पहले सेना के सप्लाई डिपो पर हमला करके दो सैनिकों और एक सुरक्षाकर्मी की हत्या कर दी थी.
पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तयैबा ने इस हमले को अंजाम देने की ज़िम्मेदारी ली थी. इस हमले के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में भारी तनाव देखने को मिला था.
इसके बाद साल 2003 में भारतीय सेना ने लाल किले को छोड़ दिया और लाल किले को पर्यटन मंत्रालय को सौंप दिया गया.
-Compiled: up18 News