सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की विचाराधीन कैदियों की वर्चुअल पेशी की मांग

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सीजेआई बोले, मैंने किया था मुंबई की जेल का दौरा

जस्टिस ललित ने कहा, मैंने मुंबई की एक जेल का दौरा किया था और अब मुंबई जैसे शहर में लगभग छह टर्मिनल हैं जो वर्चुअल मोड के माध्यम से मुकदमे के दौरान किसी आरोपी की पेशी की सुविधा दे सकते हैं। आरोपियों की संख्या अधिक है इसलिए एक बार में केवल छह व्यक्ति ही इसका लाभ का लाभ उठा सकते हैं।

पीठ ने याचिका दायर करने वाले वकील ऋषि मल्होत्रा को याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी। शुरुआत में मल्होत्रा ने कहा कि यह निचली अदालतों में एक नियमित मामला बन गया है कि समय-समय पर किसी विचाराधीन कैदी को अदालत के सामने पेश करना पड़ता है।

न्यायिक अधिकारियों, विचाराधीन कैदियों के जीवन को खतरा

उन्होंने कहा कि यह न्यायिक अधिकारियों, विचाराधीन कैदियों के साथ-साथ जनता के जीवन को खतरे में डाल रहा है। एक विचार के रूप में यह अच्छा है लेकिन व्यावहारिक रूप से लागू करना बहुत कठिनाई पैदा करेगा। पीठ ने कहा कि किसी आरोपी का अदालत में जाना हमारी पूरी आपराधिक व्यवस्था के लिए मौलिक है। वीडियो-कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अदालतों के समक्ष विचाराधीन कैदियों को पेश करने की मल्होत्रा की प्रार्थना पर सीजेआई ने कहा, मान लीजिए कि कई आरोपी हैं जिन्हें वर्चुअल मोड के माध्यम से भी पेश नहीं किया जा सकता है, इसका मतलब यह है कि वे सभी ट्रायल कोर्ट स्थगित करने के लिए बाध्य होंगे। मल्होत्रा ने पीठ से कहा कि वह याचिका वापस ले लेंगे।

याचिकाकर्ता ने वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से विचाराधीन कैदियों, विशेष रूप से गैंगस्टरों को पेश करने की वकालत करते हुए कहा कि यह सार्वजनिक और न्यायिक अधिकारियों की सुरक्षा और आरोपियों के अधिकारों को संतुलित करेगा। तत्काल जनहित याचिका का आधार भारत भर की विभिन्न निचली अदालतों को नियमित अभ्यास के रूप में हर तारीख पर विचाराधीन कैदियों को वर्चुअस रूप से पेश करना न केवल जनता और न्यायिक अधिकारियों की सुरक्षा के लिए खतरा होगा बल्कि यह बड़े कैदियों को पुलिस की हिरासत से भागने का अवसर भी देगा।

-एजेंसी