नई दिल्ली। कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला को सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को राहत देते हुए उन्हें वाराणसी के डिविजनल कमिश्नर अदालत और कार्यालय परिसर में हिंसक विरोध प्रदर्शन के दो दशक से अधिक पुराने मामले के संबंध में जारी गैर जमानती वारंट के खिलाफ पांच सप्ताह के लिए सुरक्षा प्रदान की है। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने सुरजेवाला को एनबीडब्ल्यू रद्द करने के लिए वाराणसी अदालत में पेश होने के लिए चार सप्ताह का समय दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सुरजेवाला द्वारा दायर एक रिट याचिका पर अपना आदेश पारित किया। सुरजेवाला की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि 23 साल पहले हुई एक घटना के लिए एक प्रमुख राजनीतिक दल के सचिव के खिलाफ एनबीडब्ल्यू जारी किया गया है।
पीठ ने उनसे पूछा कि आप यहां क्यों आएं? आपको हाईकोर्ट जाना चाहिए’। सिंघवी ने कहा कि वह हाईकोर्ट गए, लेकिन उन्होंने कोई आदेश पारित नहीं किया और तत्काल उल्लेख करने से इनकार कर दिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि एनबीडब्ल्यू नामित अदालत द्वारा जारी किया गया था, जबकि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के तहत याचिकाकर्ता द्वारा दायर याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा हुआ था। उन्होंने सवाल किया कि एनबीडब्ल्यू (NBW) जारी करने की जरूरत क्यों थी जब हाईकोर्ट ने 482 याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
सिंघवी ने कहा कि यह वर्ष 2000 की एक एफआईआर (FIR) है, जिसमें कथित राजनीतिक आंदोलन में याचिकाकर्ता एक युवा कांग्रेस नेता के रूप में शामिल हुआ था। सिंघवी ने कहा कि अक्तूबर में हाईकोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया था और सात नवंबर को उनके मुवक्किल के खिलाफ एनबीडब्ल्यू (NBW) जारी किया गया और वह हाईकोर्ट गए, लेकिन हाईकोर्ट ने न तो उल्लेख करने की अनुमति दी और न ही सूचीबद्ध करने की।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम ऐसा कह सकते हैं कि सुरजेवाला पेश हो और एनबीडब्ल्यू रद्द करने के लिए आवेदन कर सकते हैं। सिंघवी ने कहा कि यह अदालत इलाहाबाद हाईकर्ट के बारे में जानती है और अदालत को उनके मुवक्किल को चार सप्ताह का समय देना चाहिए। दलीलें सुनने के बाद पीठ ने कहा किमामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए याचिकाकर्ता को चार सप्ताह की अवधि के भीतर ट्रायल कोर्ट के समक्ष एनबीडब्ल्यू रद्द करने के लिए एक आवेदन दायर करने की स्वतंत्रता दी जाती है और पांच सप्ताह की अवधि तक वारंट पर अमल नहीं किया जाएगा’।
Compiled: up18 News
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