सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो के रिव्यू पिटीशन को खारिज कर दिया है. बिलकिस बानो ने ये रिव्यू पिटीशन गुजरात सरकार को दिए शीर्ष अदालत के उस आदेश के ख़िलाफ़ दायर की थी जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से गैंग रेप के 11 दोषियों की सज़ा ख़त्म करने वाली याचिका पर विचार करने के लिए कहा था.
बिलकिस बानो का साल 2002 के गुजरात दंगों के दौरान सामूहिक बलात्कार किया गया था और उनके परिवार के लोगों की हत्या कर दी गई थी.
दरअसल, गुजरात के बिलकिस बानो गैंगरेप केस में उम्रकैद की सजा पाने वाले सभी 11 दोषियों को रिहा कर दिया गया है. इन्हें ये रिहाई 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस के दिन दी गई है. ये सभी गोधरा जेल में बंद थे.
सभी 11 दोषियों को गुजरात सरकार की माफी योजना के तहत रिहाई दी गई है. 2002 के गुजरात दंगों के दौरान अहमदाबाद के पास रणधी कपूर गांव में एक भीड़ ने बिलक़ीस बानो के परिवार पर हमला किया था.
इस दौरान पांच महीने की गर्भवती बिलक़ीस बानो के साथ गैंगरेप किया गया. उनकी तीन साल की बेटी सालेहा की भी बेरहमी से हत्या कर दी गई.
उस वक़्त बिलक़ीस क़रीब 20 साल की थीं. इस दंगे में बिलक़ीस बानो की मां, छोटी बहन और अन्य रिश्तेदार समेत 14 लोग मारे गए थे.
21 जनवरी, 2008 को मुंबई की एक विशेष सीबीआई अदालत ने बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप और परिवार के सात सदस्यों की हत्या के आरोप में 11 अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. बाद में बॉम्बे हाई कोर्ट ने उनकी सजा को बरकरार रखा था.
15 साल से अधिक की जेल की सजा काटने के बाद दोषियों में से एक ने समय से पहले रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को सजा में छूट के मुद्दे पर गौर करने का निर्देश दिया था.
कोर्ट के निर्देश के बाद गुजरात सरकार ने इस मामले में एक समिति का गठन किया. समिति ने कुछ महीने पहले मामले के सभी 11 दोषियों को रिहा करने के पक्ष में एकमत से फैसला लिया और राज्य सरकार को सिफारिश भेजी गई जिसके बाद रिहाई का आदेश दिया गया.
Compiled: up18 News
Discover more from Up18 News
Subscribe to get the latest posts sent to your email.