अपने आठ साल के शासन में युगांडा के तानाशाह ईदी अमीन ने लोगों के साथ जानवरों सा सुलूक किया. लाखों लोगों को मरवा दिया. हैरान करने वाली बात है कि यह सनकी तानाशाह नरभक्षी था.
तानाशाह ईदी अमीन ने वर्षों से युगांडा में रह रहे भारतीय मूल के करीब 80 हजार लोगों को देश से बाहर चले जाने का फरमान सुना दिया था. सिर्फ इतना ही नहीं, उसने हर परिवार को, सिर्फ दो सूटकेस और 50 पाउंड ले जाने की इजाजत दी थी. इस तानाशाह को इससे फर्क नहीं पड़ता था कि परिवार बड़ा है या छोटा.
इसके बाद आनन फानन में भारतीय मूल के लोगों को युगांडा छोड़कर भागना पड़ा. इसमें ऐसे लोग भी थे जिनकी उस देश में अरबों-खरबों की संपत्ति थी.
युगांडा से अधिकतर भारतीय ब्रिटेन जाकर बस गए. बड़ी संख्या में लोग स्वदेश लौट आए और जो बचे उन्होंने अन्य यूरोपीय और आसपास के अफ्रीकी देशों में शरण ली. यह घटना फरवरी के महीने में ही 2 तारीख को घटित हुई थी. इस दिन ईदी अमीन ने खुद को युगांडा का भगवान घोषित कर दिया.
अपने आठ साल के शासन में ईदी अमीन ने अत्याचार का रिकॉर्ड कायम किया. उसे नरभक्षी तानाशाह कहा जाता था. कहा जाता है कि वह इंसानों का खून पीता था और उनका मांस खाता था. बताया जाता है कि चार अगस्त1972 को इस तानशाह को अचानक एक सपना आया और फिर उसने युगांडा के सैन्य अधिकारियों से कहा कि अल्लाह ने उससे कहा है कि सारे एशियाई नागरिकों को अपने देश से तुरंत निकाल बाहर करे.
हिन्दुस्तानियों से इसलिए चिढ़ता था तानाशाह
ईदी अमीन के शासन से पहले युगांडा में न सिर्फ भारतीय, बल्कि एशियाई लोगों का वर्चस्व था. ईदी अमीन इस बात से चिढ़ता था. यही खास वजह थी कि उसने भारतीय मूल के साथ एशियाई लोगों को देश से बाहर निकालने का फैसला लिया.
19वीं सदी में अफ्रीका के अधिकांश देशों पर ब्रिटेन का राज था. ब्रिटिश लोग अफ्रीकियों से सीधे मुंह बात तक नहीं करते थे. तब उन्होंने एशियाई मूल के लोगों को अफ्रीका में बसाना शुरू किया. उनका काम था अंग्रेजों और अफ्रीकी लोगों के बीच मध्यस्थ का काम करना. बदले में अंग्रेज एशियाई मूल के लोगों को कारोबार करने की इजाजत देते थे.
Compiled: up18news
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