सरोगेट विज्ञापन के सहारे सिगरेट, पान मसाला का प्रचार करने वाली कंपनियों और विज्ञापनदाताओं पर केंद्र सरकार सख्ती के मूड में है। म्यूजिक, सोडा और पैक्ड पानी के माध्यम से शराब के विज्ञापन और तंबाकू गुटखा को सौंफ-इलायची की आड़ में प्रचारित किया जा रहा है।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने इस तरह के सरोगेट के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है। किसी भी मीडिया प्लेटफॉर्म पर शराब कंपनियों, गुटखा निर्माताओं और अन्य फर्मों द्वारा निषिद्ध वस्तुओं का विज्ञापन प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर तत्काल रोकने को कहा गया है।
केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने सरोगेट विज्ञापन पर पूर्ण प्रतिबंध पर जोर देते हुए इस सप्ताह एक दर्जन उद्योग संघों को पत्र लिखा है। इस पत्र के जरिए उन्हें कानून का पालन करने के लिए कहा गया है। इंटरनेशनल स्पिरिट्स एंड वाइन एसोसिएशन की सीईओ निशा कपूर को भेजे गए एक ऐसे ही पत्र में दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन करने और उल्लंघन करने वालों से सख्ती से निपटने के लिए कहा गया है।
मंत्रालय को शराब और गुटखा उत्पादों से जुड़े सरोगेट विज्ञापनों की कई शिकायतें मिल रही थीं जिसके बाद यह फैसला लिया गया है। मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि कैसे हाल ही में विश्व स्तर पर प्रसारित होने वाले खेल आयोजनों के दौरान भी सरोगेट विज्ञापनों के कई उदाहरण देखे गए। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मादक पेय पदार्थों के सीधे विज्ञापन के भी उदाहरण हैं। मंत्रालय की ओर से सीधी कार्रवाई से पहले उन्हें सावधान किया है। नियमों का पालन नहीं करने पर विज्ञापन देने वाली कंपनियों और मशहूर हस्तियों सहित ऐसे विज्ञापनों में शामिल कोई भी व्यक्ति कार्रवाई के लिए उत्तरदायी होंगे।
मंत्रालय ने दिल्ली हाई कोर्ट के एक निर्णय का उल्लेख किया गया है। जिसमें एक टीवी चैनल को सरोगेट विज्ञापन प्रसारित करने और विज्ञापन संहिता का उल्लंघन करने के चलते दो दिनों में सुबह 8 बजे से रात 8 बजे के बीच हर घंटे 10 सेकेंड माफी चलाने का निर्देश दिया गया था।
क्या होता है सरोगेट विज्ञापन
कई कंपनियां किसी मादक पदार्थ का सीधे तौर पर प्रचार न करके अप्रत्यक्ष तौर पर प्रचार करती हैं। जैसे अल्कोहल के विज्ञापन के लिए म्यूजिक, सोडा और पैक्ड पानी का सहारा लिया जाता है। वहीं गुटखा और तंबाकू का प्रचार सौंफ और इलायची के जरिए प्रचारित किया जाता है।
-एजेंसी
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