अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने सिंगापुर में चल रहे शांगरी ला डायलॉग में चीन पर निशाना साधा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत की बढ़ती ताकत हिंद प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता लाएगी। लॉयड ऑस्टिन ने कहा कि चीन लगातार भारत समेत एशिया के अन्य देशों के खिलाफ आक्रामक रुख अपना रहा है। इससे सिर्फ तनाव बढ़ेगा। ताइवान और दक्षिण चीन सागर के क्षेत्र में चीन की नौसेना का बढ़ता प्रभाव एक चिंता का विषय है।
अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन और चीन के रक्षा मंत्री वेई फेंघे के बीच शुक्रवार को मीटिंग हुई। इसमें दोनों पक्षों ने कहा कि वह अपने रिश्ते सुधारना चाहते हैं लेकिन इस बातचीत से मतभेद सुलझाने में कोई सफलता नहीं मिली। शांगरी ला डायलॉग में ऑस्टिन ने कहा कि अमेरिका ताइवान समेत अपने मित्र राष्ट्रों के साथ हमेशा खड़ा है जबकि चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है। वह चेतावनी दे चुका है कि अगर जरूरत पड़ी तो वह जबरन उसे अपने में मिला लेगा।
भारत की बढ़ती ताकत स्थिरता के लिए जरूरी
लॉयड ऑस्टिन ने कहा कि हम नई क्षमताओं को विकसित करने के लिए मेहनत कर रहे हैं। इनमें मानव रहित विमान, लॉन्ग रेंज मिसाइल और रडार शामिल हैं। ये आक्रामकता को रोकने में मदद करेंगे। उन्होंने कहा कि हम उच्च ऊर्जा वाले लेजर हथियारों का प्रोटोटाइप बनाने की ओर बढ़ रहे हैं जो मिसाइलों को तबाह कर सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि हमारी क्षमताएं मित्र राष्ट्रों की मदद करेंगी। इस दौरान आस्टिन ने विशेष तौर पर भारत का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि, ‘भारत की बढ़ती सैन्य क्षमता और तकनीकी कौशल हिंद प्रशांत क्षेत्र की स्थिरता के लिए जरूरी है।’
एशिया का नाटो नहीं बना रहे
आस्टिन ने कहा कि चीन लगातार पूर्वी और दक्षिणी चीन सागर की ओर अपनी ताकत बढ़ा रहा है। पश्चिम में भी वह भारत के साथ लगती सीमा पर अपनी ताकत बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों पर इस तरह की राजनीतिक धमकी, आर्थिक दबाव या उत्पीड़न का सामना नहीं करना चाहिए। हालांकि ऑस्टिन ने साफ तौर पर कहा कि हम कोल्ड वॉर की तरफ नहीं बढ़ना चाहते और न ही किसी तरह का एशियन नाटो बना रहे हैं। हम सिर्फ यहां स्थिरता चाहते हैं।
-एजेंसियां
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