कोलंबो। आईएमएफ की एक टीम कोलंबो में मौजूद है. उसे उम्मीद है कि श्रीलंका के कर्ज को रीस्ट्रक्चर करने की प्रोसेस जल्द पूरी हो जाएगी. इसके इस साल सितंबर और अक्टूबर तक पूरा होने की संभावना है.
इस बीच आर्थिक हालात सुधारने के लिए अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने श्रीलंका से जल्द कुछ बड़े फैसले लेने को कहा है. इसी के बाद उसे बेलआउट पैकेज मिल सकेगा.
श्रीलंका को अगर अपने आर्थिक संकट से बाहर आना है, तो जल्द ही कुछ अहम फैसले लेने होंगे. ऐसा कहना है अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ( आईएमएफ) का. श्रीलंका के इन्हीं फैसलों के आधार पर उसे 2.9 अरब डॉलर (करीब 23,944 करोड़ भारतीय रुपया) का बेलआउट पैकेज मिल सकेगा.
दरअसल आईएमएफ ने श्रीलंका से अपने कर्ज को रीस्ट्रक्चर करने के लिए कहा है. इसमें चीन से लिया गया कर्ज शामिल है. अगर श्रीलंका अक्टूबर से पहले इस बारे में फैसला करता है, तभी उसे आईएमएफ की ओर से बेलआउट पैकेज मिलेगा.
श्रीलंका को ऐसे परेशान कर रहा चीन
डेली मिरर की एक खबर में कहा गया है कि श्रीलंका के कर्ज को रीस्ट्रक्चर करने में चीन ‘देरी’ करने की रणनीति अपना रहा है. ये दिखाता है कि बिना उसकी मदद के श्रीलंका को आईएमएफ से बेलआउट पैकेज मिलना मुश्किल होगा.
श्रीलंका को मुख्य तौर पर कर्ज उपलब्ध कराने वाले देश के रूप में चीन की भूमिका ने दुनिया का ध्यान खींचा था. अब चीन का यूं देरी करना दिखाता है कि वह आईएमएफ के बेलआउट पैकेज पर नजर बनाए हुए है. वहीं श्रीलंका को सबसे अधिक कर्ज देने वाले देश में से एक होने के चलते चीन इस बात पर भी गौर कर रहा है कि श्रीलंका को आईएमएफ से मिलने वाले बेलआउट पैकेज पर अन्य देशों का क्या रुख है.
जब आईएमएफ ने श्रीलंका को बेलआउट पैकेज देने पर सहमति जताई थी, तब राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने कहा था कि दुनिया की नजरों में श्रीलंका अब ज्यादा लंबे समय तक ‘दिवालिया’ नहीं रहेगा.
– एजेंसी
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