श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामला: मस्जिद कमेटी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, हाई कोर्ट की सुनवाई पर रोक लगाने से इंकार

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हाई कोर्ट ने हिंदू पक्ष की 18 याचिकाओं पर बड़ा फैसला दिया था। हाई कोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिकाओं को सुनवाई योग्य माना था। हाई कोर्ट के फैसले पर ऐतराज जताते हुए मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद कमेटी की याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। इस मामले में अब अगली सुनवाई 4 नवंबर को होगी। ऐसे में 4 नवंबर का दिन काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। देखा जाएगा कि इस दिन दोनों पक्ष इस मामले में क्या पक्ष रखते हैं।

एक अगस्त को आया था फैसला

श्रीकृष्ण जन्मभूमि ईदगाह प्रकरण में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। हाई कोर्ट की ओर से हिंदू पक्ष के दावों को सुनवाई योग्य मानने के बाद इस मामले में मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। करीब 1600 पेज की याचिका को अब सुप्रीम कोर्ट में सुना गया। एक अगस्त को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही मस्जिद ईदगाह विवाद को सुनवाई योग्य माना था।

हाई कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद की जमीन के स्वामित्व को लेकर हिंदू पक्षकारों की ओर से दाखिल सभी 15 सिविल वादों को सुनने योग्य मानते हुए मुस्लिम पक्ष की ओर से दायर पांचों आपत्तियों को खारिज कर दिया। ईदगाह कमेटी ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है।

मुस्लिम पक्ष ने दायर की थी अपील

इलाहाबाद हाई कोर्ट के हिंदू पक्ष के दावों को सुनवाई के योग्य मानने के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की गई। दायर अपील में इसे गलत करार दिया गया। मुस्लिम पक्ष की ओर से दायर प्रार्थना पत्र पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष एडवोकेट महेंद्र प्रताप सिंह ने इससे पहले बताया कि मुस्लिम पक्ष की इस अपील पर हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट लगाई। कोर्ट में हिंदू पक्ष की ओर से भी अपनी बात रखी गई। सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट संख्या 2 में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार ने मामले में सुनवाई की।

मस्जिद कमिटी ने दायर की रिट

शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी के सचिव एडवोकेट तनवीर अहमद ने बताया कि 1600 पन्नों की रिट दाखिल की। रिट में कहा गया कि हाई कोर्ट ने उपासना अधिनियम, परिसीमा अधिनियम, वक्फ एक्ट के प्रावधानों को नजरअंदाज किया है। इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मजबूती से अपना पक्ष रखने की बात कही थी। हालांकि, कोर्ट ने उनकी दलीलों को नजरअंदाज करते हुए अपना फैसला सुनाया है। ऐसे में 4 नवंबर को होने वाली अगली सुनवाई पर नजर रहेगी।

दोनों पक्ष की अपनी दलीलें

श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद केस में दोनों पक्षों की ओर से अपनी-अपनी दलीलें दी जा रही है। हिंदू पक्ष की ओर से दी जा रही दलील में कहा गया है कि शाही ईदगाह का पूरा ढाई एकड़ क्षेत्र श्रीकृष्ण विराजमान का गर्भगृह है। वह हिस्सा भी जिसमें शाही ईदगाह मस्जिद है, मंदिर का हिस्सा है। हिंदू पक्ष का दावा है कि शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी के पास भूमि का कोई ऐसा रिकॉर्ड नहीं है। श्रीकृष्ण मंदिर तोड़कर शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण किया गया है। हिंदू पक्ष ने कहा है कि बिना स्वामित्व अधिकार के वक्फ बोर्ड ने बिना किसी वैध प्रक्रिया के इसे वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया है।

मुस्लिम पक्ष की ओर से अपनी दलील दी गई है। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि जमीन पर दोनों पक्षों के बीच 1968 में समझौता हुआ है। 60 साल बाद समझौते को गलत बताना ठीक नहीं है। लिहाजा, मुकदमा चलने योग्य नहीं है। मस्जिद कमिटी का दावा है कि उपासना स्थल अधिनियम 1991 के तहत भी मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है। 15 अगस्त 1947 के दिन जिस धार्मिक स्थल की पहचान और प्रकृति जैसी है वैसी ही बनी रहेगी, यह एक्ट के तहत साफ है। ऐसे में उसकी प्रकृति नहीं बदली जा सकती है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हिंदू पक्षकारों ने खुशी जाहिर की है। साधु संतों में भी खुशी की लहर है। महामंडलेश्वर त्रिशूल बाबा ने कहा कि मुस्लिमों के पास एक भी एक साक्ष्य नहीं है, जिससे जाहिर होता हो कि उनके पास विवादित ढांचे का मालिकाना हक है। न ही उन्होंने कोई ऐसा दस्तावेज माननीय न्यायालय में प्रस्तुत किया। मुस्लिम पक्ष लगातार हिंदू पक्ष को अनावश्यक रूप से माननीय न्यायालय में नए-नए दांव पेंच से निर्णायक आदेश आने तक रोकने का प्रयास कर रहा है लेकिन बहुत जल्द इसका पर्दाफाश होगा।

साधू संतों ने कहा कि न्यायालय में हकीकत सभी के सामने आएगी। वहां पर ठाकुर केशव देव जी का भव्य और दिव्य मंदिर बहुत जल्द न्यायालय के आदेश अनुसार बनाया जाएगा। वहां पर सिर्फ ठाकुर केशव देव जी का मूल जन्म स्थान है. वहां मंदिर तोड़ा गया था अगर भारत का मुसलमान इस सत्य को स्वीकार कर लेता है तो सभी हिंदू भारत के मुसलमानों का स्वागत करेंगे। उधर, पक्षकार दिनेश शर्मा और अधिवक्ता महेंद्र प्रताप ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जाहिर की है।

साभार सहित


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