देश की शीर्ष अदालत (सुप्रीम कोर्ट) ने महाराष्ट्र की उद्धव सरकार को बड़ा झटका दिया। SC ने महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर सरकार को एक आदेश जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने बीएमसी और दूसरे निकायों के लंबित चुनाव की तारीख 2 हफ्ते में घोषित करने का आदेश दिया है। राज्य सरकार ने ओबीसी आरक्षण को मंजूरी मिलने के बाद ही चुनाव कराने की बात कही थी। कोर्ट ने कहा है कि इस आदेश की संवैधानिकता पर बाद में सुनवाई होगी।
समझें महाराष्ट्र की राजनीतिक व्यवस्था
जानकारी के लिए बता दें कि महाराष्ट्र में 20 नगर निगम, 25 जिला परिषद, 285 पंचायत समितियों, 210 नगर परिषद और 2000 ग्राम पंचायतों में चुनाव होना है, जिन नगर निगमों में चुनाव होंगे उनमें मुंबई, पुणे, ठाणे, नासिक, नवी मुंबई, नागपुर, कोल्हापुर और सोलापुर सहित प्रमुख नगर निकाय शामिल हैं। इस बीच महाविकास अघाड़ी सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के आंकड़ों को इकट्ठा करने के लिए पूर्व मुख्य सचिव जयंत बनठिया की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय समिति का गठन किया।
स्थानीय निकायों में 27 फीसदी OBC कोटा
बता दें कि ओबीसी आरक्षण को कोर्ट ने रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट को खारिज कर दिया था, जिसने स्थानीय निकायों में 27 फीसदी OBC कोटा की सिफारिश की थी। कोर्ट ने कहा था कि अंतरिम रिपोर्ट आंकड़ों के अध्ययन और रिसर्च के बिना तैयार की गई थी। इसके बाद, महाराष्ट्र सरकार ने ओबीसी के राजनीतिक पिछड़ेपन पर एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए एक अलग आयोग का गठन करने का फैसला किया।
ये चुनाव OBC आरक्षण के बिना ही होंगे
दरअसल, महाराष्ट्र सरकार की सुप्रीम कोर्ट में दलील थी कि राज्य में नई नीति के मुताबिक परिसीमन का काम प्रगति पर है लिहाजा एक बार परिसीमन हो जाए फिर चुनाव कराए जाएं लेकिन कोर्ट ने कहा कि ये राज्य सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी है कि हरेक पांच साल बाद स्थानीय निकायों के चुनाव कराए जाएं। इसमें किसी भी तरह को लापरवाही, देरी उचित नहीं है। अदालत ने साफ किया कि ये चुनाव OBC आरक्षण के बिना ही होंगे।
-एजेंसियां
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