मैरिटल रेप को आपराधिक ठहराए जाने से जुड़ी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी तक केंद्र सरकार का जवाब मांगा है.
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इसे आपराधिक ठहराए जाने के न्यायिक ही नहीं, समाजिक परिणाम भी होंगे.
चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों वाली पीठ में जस्टिस नरसिम्हा और जेबी पादरीवाला शामिल हैं.
सुप्रीम कोर्ट मामले की अगली सुनवाई मार्च में करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने तय किया है वह इस मामले को किसी हाई कोर्ट को ना देकर खुद इस पर सुनवाई करेगी.
इस मामले पर सुनवाई के दौरान तुषार मेहता ने कहा कि “न्यायिक के साथ साथ इस मामले के सामाजिक परिणाम होंगे. इस मामले पर राज्यों की राय भी चाहते हैं, कुछ महीने पहले हमने राज्यों से उनकी राय मांगी थी.”
सुप्रीम कोर्ट मैरिटल रेप को आपराधिक ठहराए जाने से जुड़ी कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. इनमें से एक याचिका कर्नाटक हाईकोर्ट के उस फ़ैसले के खिलाफ़ भी है जिसमें एक व्यक्ति पर अपनी पत्नी का रेप करने और उसे ‘सेक्स स्लेव’ बनाने का आरोप था लेकिन उस लगे रेप के सेक्शन को रद्द कर दिया गया.
Compiled: up18 News