वसंत ऋतु के साथ परागकणों की भी शुरुआत होती है। ऐसे में जो लोग Seasonal Allergy से ग्रस्त हैं, उन्हें सतर्क रहने की जरूरत है ताकि वे इनसे बचे रहें।
तापमान का उतार-चढ़ाव खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है, हालांकि वसंत ऋतु बीत चुकी है। नए पत्ते अंकुरित हो रहे हैं। फूल खिल रहे हैं और घास सजीव हो उठी है। बस कुछ ही हफ्तों की बात है कि दुनिया फिर से चमकदार और खूबसूरत हो जाएगी।
कुछ सरल लेकिन प्रभावी उपाय हैं जो आपकी सीजनल ऐलर्जी के लक्षणों को कम ही नहीं बल्कि खत्म भी कर सकते हैं ताकि आप सिरदर्द, आंसुओं भरी आंखों और बंद नाक के बिना वसंत का आनंद ले सकें।
1. किसी ऐलर्जी विशेषज्ञ से मिल कर अपने टेस्ट करवाएं और पता लगाएं कि किन चीजों के संपर्क में आकर आपकी ऐलर्जी शुरू होती है।
कुछ टेस्ट से पता लग सकता है कि आपको किन चीजों से ऐलर्जी है, जैसे- फफूंद, पालतू जानवर वगैरह ताकि पता चल जाए कि आपको किन चीजों से बचना है। इससे आपके ऐलर्जी विशेषज्ञ को आपके अनुसार ट्रीटमेंट प्लान बनाने में मदद मिलेगी।
2. ऐलर्जी शुरू होने का इंतजार न करें और जैसे ही मौसम बदलने की शुरूआत हो अपनी दवाएं ले लें।
चाहे आप नेजल स्प्रे या डॉक्टर की दवाइयां लेते हों, इन्हें शुरू में ही लेने से बाद में लक्षणों की गंभीरता को कम करने में मदद मिल सकती है।
3. नाक धोना सबसे अच्छा उपाय है
अगर आप ऐलर्जिक साइनाइटिस, ऐलर्जिक अस्थमा और फेफड़ों की दूसरी समस्याओं से ग्रस्त हैं जो नाक और साइनस को प्रभावित करते हैं तो नमक के पानी से नाक साफ करने या नाक धोने से आपके लक्षण कम हो जाएंगे।
4. परागकणों से कम से कम संपर्क में आएं
कार की खिड़कियों को बंद रखें और एंयरकंडीशन को री-सर्कुलेट सेटिंग पर चलाएं। अगर आपके बच्चे बहुत अधिक समय बाहर गुजारते हैं तो सोने से पहले उन्हें नहला दें तो उन्हें अच्छी नींद आएगी।
5. ऐलर्जी को दूर रखने के लिए अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाएं
जब आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली किसी हानिरहित पदार्थ को रोगाणु समझने की भूल करती है तो आपको ऐलर्जी हो जाती है। इसके बाद वह ऐलर्जी पैदा करने वाले उस कारक का मुकाबला करने के लिए ऐंटीबॉडी बनाती है इसलिए एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली का होना बहुत आवश्यक है तो ऐलर्जी के खिलाफ सुदृढ़ सुरक्षा दे सके।
इसके अलावा मौसमी ऐलर्जी से ग्रस्त लोगों को गर्म, शुष्क और हवा चलने वाले दिनों में घरों के अंदर रहना चाहिए। इसके अलावा घर से बाहर होने वाले कामकाज को दोपहर में करना चाहिए, एकदम सुबह और शाम को नहीं क्योंकि इस समय परागकणों की संख्या वातावरण में आमतौर पर अधिक होती है। इसके अलावा बाहर का काम करते समय धूल से बचने वाला मास्क पहन लें।
-एजेंसियां
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