साल 2021 में मुनाफा दोगुना करने के बाद सऊदी अरब की कंपनी अरामको की योजना ऊर्जा उत्पादन में अपना निवेश तेजी से बढ़ाने की है. कंपनी ने अगले पांच सालों में अपना उत्पादन महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने का लक्ष्य रखा है.
हाल के महीनों में आपूर्ति की तुलना में मांग के ज़्यादा रहने के कारण तेल की कीमतें काफी बढ़ी हैं. यूक्रेन युद्ध और एनर्जी सप्लाई के मामले में रूस पर निर्भर होने पर हिचक के कारण ऊर्जा की आपूर्ति पर अतिरिक्त दबाव पड़ा है.
सऊदी कंपनी के इस कदम को लेकर माना जा रहा है कि ऊंची ऊर्जा क़ीमतों से परेशान राजनेता इसका स्वागत करेंगे. हालांकि अरामको उत्पादन बढ़ाने के लिए निवेश में वृद्धि का जो फ़ैसला लिया है, वो योजना अगले पांच से आठ सालों के लिए है.
पिछले हफ़्ते ब्रितानी प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने सऊदी अरब का दौरा किया था. बोरिस जॉनसन ने इस दौरे में शॉर्ट टर्म के लिए विश्व बाज़ार में तेल की आपूर्ति बढ़ाने के लिए सऊदी अरब को मनाने की कोशिश की थी.
तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक में सऊदी अरब सबसे बड़ा उत्पादक है. तेल की क़ीमतें इस समय पिछले 14 सालों के उच्चतम स्तर पर हैं. माना जा रहा है कि सऊदी अरब अगर उत्पादन बढ़ाता है तो इससे क़ीमतों में कमी आ सकती है.
हालांकि सऊदी अरब की मानवाधिकार हनन के मामलों को लेकर आलोचना होती रही है. सऊदी अरब यमन के संघर्ष में शामिल है. उस पर साल 2018 में सऊदी पत्रकार जमाल ख़ाशोज्जी की हत्या, असंतुष्टों को जेल भेजने और बड़े पैमाने पर लोगों को मृत्यु दंड की सज़ा देने का आरोप है.
ब्रिटेन में लेबर पार्टी ने सरकार पर ऊर्जा संकट से निपटने के लिए एक तानाशाह से दूसरे तानाशाह के पास हाथ फैलाने का आरोप लगाया है.
ब्रिटेन के चांसलर ऋषि सुनक ने इस पर जवाब देते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री का ऊर्जा आपूर्ति बढ़ाने के लिए सऊदी अरब से बातचीत करना पूरी तरह से सही कदम है.
-एजेंसियां
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