रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दोस्त भारत की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में दावेदारी का खुलकर समर्थन किया है। रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत हर दिन लगातार मजबूत हो रहा है और उसे सुरक्षा परिषद में सदस्यता दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत जैसे देश सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के हकदार हैं। पुतिन ने यह भी कहा कि सुरक्षा परिषद में सुधार की जरूरत है।
पुतिन ने कहा, ‘भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका खासतौर पर ज्यादा प्रतिनिधित्व के हकदार हैं।’ पुतिन जहां भारत की खुलकर तारीफ कर रहे हैं और समर्थन दे रहे हैं, वहीं सुरक्षा परिषद में सुधार का मुद्दा वर्षों से फंसा हुआ है। चीन और पाकिस्तान दोनों ही भारत की राह में रोड़ा बन गए हैं।
पुतिन ने भले ही भारत की संयुक्त राष्ट्र में दावेदारी का समर्थन किया हो लेकिन दुनिया के इस सबसे शक्तिशाली संगठन में भारत की राह आसान नहीं होने जा रही है।
पिछले दिनों पीए मोदी ने जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान भी सुरक्षा परिषद में भारत की दावेदारी पेश की थी लेकिन इस दिशा में कोई ठोस सफलता नहीं मिल पाई। भारत का वैश्विक स्तर पर कद लगातार बढ़ रहा है और जी20 की सफलता इसका उदाहरण है लेकिन अभी भी सुरक्षा परिषद की दिशा में ज्यादा सफलता नहीं मिल पाई है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार का मुद्दा लंबे से उठ रहा है लेकिन इसमें शामिल देश इसको आगे नहीं बढ़ने दे रहे हैं।
दूसरे विश्वयुद्ध के बाद से सुरक्षा परिषद नहीं बदली व्यवस्था
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आखिरी बार विस्तार साल 1965 में हुआ था ताकि गैर स्थायी सदस्यों की संख्या को बढ़ाकर 10 कर दिया जाए लेकिन वीटो पावर से लैस सदस्यों की संख्या अभी भी 1945 के समय की तरह से 5 ही बनी हुई है। इस दौरान रिपब्लिक ऑफ चीन की जगह पर पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना और सोवियत संघ की जगह पर रूस को यह सदस्यता दी गई। सुरक्षा परिषद में सुधारों के लिए उच्च स्तर की बाधा मुख्य कारण बनी हुई है। संयुक्त राष्ट्र चार्टर में संयुक्त राष्ट्र के दो-तिहाई सदस्यों के मत से संशोधन की आवश्यकता होती है।
सुरक्षा परिषद में सुधार पर कहां फंसा पेच
इसके साथ ही इतनी ही संख्या में सदस्यों द्वारा समर्थन की भी आवश्यकता होती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमें सभी 5 संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य शामिल होने चाहिए। पिछले वर्षों में, सुधारों की वकालत करते हुए तीन गुट उभरे हैं – G4 (भारत, ब्राजील, जर्मनी और जापान), यूनाइटिंग फॉर कंसेंसस (पाकिस्तान, इटली, अर्जेंटीना और दक्षिण कोरिया जैसे G4 के क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वियों से मिलकर बना गुट) और अफ्रीकी संघ।
इन सभी गुटों की सुधारों को लेकर राय भिन्न है। G4 देश स्थायी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सदस्यता चाहता है, यूनाइटिंग फॉर कंसेंसस केवल गैर-स्थायी सीटों की संख्या में वृद्धि चाहता है, जबकि अफ्रीकी संघ वीटो शक्तियों के साथ दो स्थायी अफ्रीकी सीटें चाहता है।
भारत के खिलाफ आक्रामक चीन, पाकिस्तान भी साथ
इसके अलावा, सुरक्षा परिषद के 5 स्थायी सदस्यों में से एक चीन एक बड़ी बाधा बनकर खड़ा है। भारत और जापान को स्थायी सीटें देने से इनकार करने के लिए इसकी स्थिति यूनाइटिंग फॉर कंसेंसस समूह के अनुसार ही हो गई है।
आज भारत-चीन संबंधों की स्थिति को देखते हुए, यह संभावना नहीं है कि बीजिंग निकट भविष्य में नई दिल्ली की स्थायी सदस्यता का समर्थन करेगा। फिर भी, यदि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को प्रासंगिक बनाए रखना है तो उसे नए सिरे से आगे बढ़ने की आवश्यकता है।
जैसा कि यूक्रेन युद्ध और अन्य संकट दिखाते हैं, विस्तारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद नहीं होने के कारण वैश्विक दक्षिण के मुद्दों को काफी हद तक दरकिनार कर दिया गया है। यदि संयुक्त राष्ट्र को लीग ऑफ नेशंस जैसा नहीं होना है, तो इसमें भारत जैसे देश स्थायी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सदस्य के रूप में होने चाहिए।
पुतिन ने भारत को लेकर पश्चिम को घेरा
पुतिन ने काला सागर के पास सोची में दिए अपने भाषण में कहा कि पश्चिमी देश भारत के साथ रूस के रिश्ते में दरार पैदा करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘पश्चिम देश हर उस देश के साथ दुश्मनी पैदा करना चाहते हैं जो उनके एकाधिकार से सहमत नहीं है। हर कोई खतरे में है, यहां तक कि भारत भी लेकिन भारतीय नेतृत्व अपने देश के हितों के लिहाज से स्वतंत्र होकर काम कर रहा है। भारत को रूस से दूर करने का प्रयास बेकार है। भारत एक स्वतंत्र देश है।
Compiled: up18 News
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