रूस की संसद ने उस वैश्विक संधि से जुड़े करार को खत्म कर दिया है, जिसके तहत कोई देश न्यूक्लियर टेस्ट नहीं कर सकता है। रूस की संसद के दोनों सदनों ने उस बिल को पास कर दिया है, जो परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (सीटीबीटी) को रद्द करने की बात कहता है।
रूस ने 6 अक्टूबर को इस संधि से बाहर आने की घोषणा की थी, जिसके बाद ससंद में इस बाबत बिल लाया गया। संसद से इस बिल को मंजूरी मिलते ही रूस की सेना ने नकली परमाणु हमले की एक ड्रिल की है। वैश्विक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध के अनुसमर्थन को रद्द करने के लिए उच्च सदन में मतदान के कुछ घंटों बाद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की देखरेख में रूस की सेना ने परमाणु हमले का अभ्यास किया।
द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु ने कहा कि न्यूक्लियर अटैक की ड्रिल पहले भी की जाती रही हैं। इनका उद्देश्य दुश्मन के परमाणु हमले से निपटने का अभ्यास करना है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ वीडियो कॉल से इस ड्रिल को देखा।
एक हफ्ते में दोनों सदनों से मिल गई बिल को मंजूरी
व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि के अनुसमर्थन को समाप्त करने वाला विधेयक बीते हफ्ते रूसी संसद के निचले सदन में लाया गया था। निचले सदन की मंजूरी के बाद बुधवार को इस बिल को उच्च सदन ने भी पास कर दिया। अब इस बिल को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति पुतिन के पास भेजा गया है। पुतिन पहले ही इस संधि से बाहर आने के लिए अपना रुख स्पष्ट कर चुके हैं। पुतिन ने कहा है कि कुछ विशेषज्ञ परमाणु परीक्षण करना आवश्यक मान रहे हैं लेकिन उन्होंने अभी तक इस मुद्दे पर कोई राय नहीं बनाई है।
1996 में अपनाई गई परीक्षण प्रतिबंध संधि दुनिया में कहीं भी परमाणु विस्फोटों पर प्रतिबंध लगाती है। इस संधि में रूस भी शामिल था। हालांकि ये संधि कभी भी पूरी तरह से लागू नहीं की गई। इस संधि को अभी तक चीन, भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया, इजराइल, ईरान और मिस्र ने पूरी तरह से नहीं माना है।
रूस अब इस संधि से बाहर आ गया है। अब रूस नया परमाणु परीक्षण करने के लिए स्वतंत्र है और वह संधि की शर्तों में बंधा नहीं है। रक्षा विशेषज्ञ मान रहे हैं कि यूक्रेन को सैन्य सहायता जारी रखने से अमेरिका और पश्चिमी देशों को हतोत्साहित करने के लिए रूस परमाणु परीक्षण फिर से शुरू कर सकता है।
Compiled: up18 News