ईडी ने चीनी मोबाइल फोन निर्माता कंपनी वीवो व उससे संबंधित कंपनियों के तकरीबन 40 ठिकानों पर रेड की। मनी लांड्रिंग के मामले में उत्तर प्रदेश व बिहार समेत देश के कई राज्यों में ईडी ने कार्रवाई की है।
एजेंसी का कहना है कि छापेमारी अभी चल रही है। मामले में सीबीआई भी जांच कर रही है। LAC पर टकराव के बाद भारत सरकार ने चीनी कंपनियों पर सख्त रुख अख्तियार किया था। उसके बाद से ही वीवो पर शिकंजा कसा गया। Xiaomi के बाद किसी चीनी कंपनी के खिलाफ ये सबसे बड़ी कार्रवाई है।
इससे पहले मेरठ पुलिस ने भी वीवो के खिलाफ एक केस दर्ज किया था। आरोप है कि कंपनी ने 13 हजार 5 सौ फोन एक ही IMEI नंबर पर बाजार में उतार दिए जबकि TRAI ने 2017 में नोटिफिकेशन जारी किया था कि सभी स्मार्टफोनों में एक यूनीक IMEI नंबर होना चाहिए। ऐसा न होने पर तीन साल के लिए जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है।
वीवो इंडिया प्राइवेट लिमिटेड का इससे पहले गुरुग्राम स्थित एचएसबीसी बैंक का खाता अटैच कर राज्य वस्तु एवं सेवाकर (SGST) ने 220.13 करोड़ रुपये की वसूली की थी। 2020 में नियमों का उल्लंघन कर रिटर्न दाखिल करने के दौरान 110.06 करोड़ रुपये अधिक इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ लेने के मामले में यह कार्रवाई की गई है।
फरवरी से सितंबर 2020 तक कंपनी की ओर से दाखिल की गई जीएसटी रिटर्न की जांच कराई गई थी। डाटा मूल्यांकन के आधार पर पता चला कि दाखिल रिटर्न से 110.06 करोड़ रुपये अधिक का आईटीसी क्लेम किया गया है। कंपनी पर एक्शन हुआ तो आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में रिट याचिका दाखिल की गई। लेकिन कोर्ट की तरफ से कोई राहत नहीं मिली।
वीवो से पहले Xiaomi ग्रुप भी जांच के दायरे में है। ईडी का कहना है कि Xiaomi ने भारत में 2014 से काम करना शुरू किया। उसके बाद 2015 में पैसा बाहर भेजना शुरू कर दिया। कंपनी ने 5551.27 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा बाहर की तीन कंपनियों को ट्रांसफर की थी। इसमें Xiaomi ग्रुप भी शामिल है। ये रकम रॉयल्टी के नाम पर बाहर भेजी गई।
एजेंसी का कहना है कि चीन में बैठे अपने आकाओ के इशारे पर कंपनी ने ये सारा गोरखधंधा किया था। एजेंसी का कहना है कि Xiaomi इंडिया मोबाइल फोन के डिस्ट्रीब्यूशन का काम MI के नाम पर करती आ रही है। अप्रैल में ईडी ने 5551.27 करोड़ रुपये जब्त कर लिए थे।
-एजेंसियां
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