महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा पोषण अभियान के तहत एक माह चलने वाले राष्ट्रीय पोषण माह की घोषणा कर दी गई है। जो 1 से लेकर 30 सितंबर 2023 तक चलेगा। इस बार पोषण माह “महिला और स्वास्थ्य” एवं “बच्चे और शिक्षा” पर केंद्रित है।
महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी जी ने कहा है कि इस साल का लक्ष्य “पोषण पंचायत” के रूप में ग्राम पंचायतों के माध्यम से पोषण माह की शुरुआत करना है। ताकि इस माह चलने वाले पोषण माह में गांव की गर्भवती एवं दूध पिलाने वाली महिलाओं, 6 साल से कम आयु के बच्चों और किशोरियों पर विशेष ध्यान दिया जाए और उन्हें पोषण के बारे में जागरूक किया जाए।
जब हमारी बात महिला पोषण जागरूकता अभियान के आहार विशेषज्ञ मधु शर्मा जी से हुई तो उन्होंने बताया कि गर्भावस्था में हर गर्भवती महिला के लिए पोषण से भरपूर आहार लेना बेहद महत्वपूर्ण होता है. इससे गर्भ में पल रहे शिशु का विकास सही तरीके से होता है. गर्भावस्था के सभी चरणों में अधिक खाने की ज़रूरत नहीं होती है, बल्कि संतुलित मात्रा में पोषक तत्वों को भोजन में शामिल करना आवश्यक हो जाता है. इन दिनों आयरन से भरपूर आहार लेना ज़रूरी होता है. चूंकि, खून पतला हो जाता है, तो हीमोग्लोबिन भी गिरावट होती है. ऐसे में आयरन, फॉलिक एसिड से भरपूर चीजों का सेवन करना चाहिए । यदि महिलाऐं चाहती हैं कि प्रेग्नेंसी के पूरे 9 महीने स्वस्थ रहें, उनको कमजोरी या किसी भी तरह की शारीरिक समस्या ना हो, तो अपने आहार में कैल्शियम, आयरन, फॉलिक एसिड ,विटामिंस जैसे विटामिन सी, विटामिन बी 12, प्रोटीन आदि से भरपूर आहार लेना चाहिए।
मधु शर्मा ने बताया कि जितना हो सकते अपने आहार में आप ताजे फल, हरी पत्तेदार सब्जियां, घर का बना खाना खाएं. आयरन इन दिनों बहुत जरूरी होता है. अक्सर महिलाओं को शरीर में आयरन की कमी हो जाती है, जो उनके साथ ही शिशु के लिए भी नुकसानदायक हो सकता है. आयरन के लिए आप हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, चुकंदर, अनार, अनाज, अंडा, अमरूद आदि खा सकती हैं.
मधु जी ने बताया गर्भावस्था में अत्यधिक वजन बढ़ने से भी बच्चे के विकास में दिक्कत आ सकती हैं, अतः खानपान के साथ शारीरिक क्रियाओं का ध्यान रखना भी अत्यंत आवश्यक है खाना खाएं लेकिन उसका पचना भी उतना ही आवश्यक है और सही प्रकार का खाना एवं सभी प्रकार के पोषक तत्वों का भोजन में उपस्थित होना भी महत्वपूर्ण है। कम वजन की महिलाएं भी एक अविकसित बचे को जन्म देने का कार्य करती हैं अतः इस बात का भी ध्यान रखा जाए कि वजन सही मात्रा में गर्भावस्था के दौरान लगातार बढ़ता रहे।
यदि माता एनीमिक है अर्थात गर्भस्थ महिला में खून की कमी है तो यह बच्चे के दिमाग ए विकास में विकार का कारण बन सकता है तथा शरीर के बाकी अंगों के विकास में भी रुकावट पैदा कर सकता है। मां के शरीर में कैल्शियम की कमी होने से बच्चे का शारीरिक ढांचा पूर्णतया विकसित होने में परेशानी हो सकती है। जिंक की कमी होने से याददाश्त संबंधी मानसिक विकार आ सकते हैं तथा विटामिन डी की कमी बच्चे में जन्म के समय वजन कम होने का कारण हो सकते हैं। अतः सही पोषण से ही भारत का भविष्य उत्तम हो सकता है।
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