औरंगजेब पर सियासी घमासान: सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने अबु आजमी के बयान का किया समर्थन, बोले- शिंदे को इतिहास का ज्ञान नहीं

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महाराष्ट्र के समाजवादी पार्टी प्रदेश अध्यक्ष अबु आजमी की ओर से मुगल शासक औरंगजेब की तारीफ किए जाने पर सियासी घमासान छिड़ा हुआ है। महायुति (भाजपा, शिवसेना और एनसीपी) के नेताओं ने आजमी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। इस बीच सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने आजमी के बयान का समर्थन किया है। साथ ही उन्होंने महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे पर निशाना साधते हुए कहा है कि उन्हें इतिहास का ज्ञान नहीं है।

दरअसल, मुंबई के मानखुर्द शिवाजी नगर निर्वाचन क्षेत्र से महाराष्ट्र सपा के चीफ विधायक अबू आजमी ने दावा किया कि औरंगजेब के शासनकाल में भारत की सीमा अफगानिस्तान एवं बर्मा तक पहुंच गयी थी। उन्होंने कहा, ‘‘हमारा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विश्व सकल घरेलू उत्पाद का 24 प्रतिशत था और भारत को (औरंगजेब के समय) सोने की चिड़िया कहा जाता था।’’ वहीं, आजमी के बयान पर महाराष्ट्र के डिप्टी एकनाथ शिंदे ने सोमवार को कहा, “औरंगजेब, जिसने छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी महाराज की हत्या करवाई, उसकी प्रशंसा करना एक बड़ा पाप है। सिर्फ निंदा करने से काम नहीं चलेगा, अबू आजमी के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज होना चाहिए… उन्हें माफी मांगनी चाहिए।”

महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम शिंदे की प्रतिक्रिया पर सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने कहा, “महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम को इतिहास की कोई जानकारी नहीं है। अगर उन्हें इतिहास की जानकारी होती तो वे ऐसा बयान नहीं देते। अबू आज़मी के बयान निंदनीय नहीं हैं। समाजवादी पार्टी हमेशा समाज को जोड़ने और संविधान की रक्षा की बात करती है। महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अबू आज़मी जो कहना चाहते थे उसका मर्म नहीं समझ पाए और इसीलिए वे बेबुनियाद बयान दे रहे हैं।”

बता दें कि आजमी के बयान के खिलाफ महायुति के नेताओं ने राज्य विधानसभा के बाहर विरोध प्रदर्शन किया है। लोकसभा सदस्य नरेश म्हास्के की शिकायत पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के प्रयास के आरोप में ठाणे में आजमी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। हालांकि, सपा विधायक अबू आजमी अपने बयान पर कायम हैं। विवाद बढ़ने के बाद उन्होंने मीडिया से कहा, “गलत इतिहास दिखाया जा रहा है।”

उन्होंने कहा, “औरंगजेब ने कई मंदिर बनवाए थे। मैं उसे क्रूर प्रशासक नहीं मानता। छत्रपति संभाजी महाराज और औरंगजेब के बीच जो युद्ध हुआ था, वह प्रशासनिक सत्ता का संघर्ष था, न कि हिंदू-मुसलमान का युद्ध।”

-साभार सहित