रवीना टंडन ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 100 कड़ी पूरे होने के अवसर पर बॉलीवुड में एक्टर और एक्ट्रेस के बीच के फर्क को लेकर बातें कीं। रवीना ने कहा कि महिलाओं ने कैमरे के आगे और कैमरे के पीछे दोनों ही मोर्चों पर पुरानी धारणाओं को तोड़ने का काम किया है और पुरुष प्रधान सभी क्षेत्रों में अपनी जगह बनाई है।
साल 1990 और 2000 के दशक की शुरुआत में हिंदी सिनेमा में अपने अभिनय का जलवा बिखेरने वाली रवीना टंडन ने कहा कि फिल्म उद्योग को टीवी और ओटीटी (ओवर दी टॉप) मंचों से सीखना चाहिए जहां महिलाओं को अच्छा पैसा मिलता है और महिला प्रधान कार्यक्रमों का निर्माण भी किया जाता है।
‘National Conclave on Mann Ki Baat @100’ के मौके पर उन्होंने कहा, ‘हम महिलाओं के मेहनताने में भेदभाव के बारे में बात करते हैं लेकिन टीवी इंडस्ट्री में आज महिलाओं को उनके काम की वजह से उनके पुरुष कलाकारों से ज्यादा भुगतान किया जाता है जो अच्छी चीज है और मैं समझती हूं कि टीवी उद्योग में महिलाएं राज करती हैं। ओटीटी मंच पर भी अधिकतर महिला प्रधान और महिलाओं के विषय पर कार्यक्रम होते हैं।’
फीस में भेदभाव जैसे मुद्दे उद्योग में अब भी बने हुए हैं
यहां ‘नारी शक्ति’ सेशन को संबोधित करते हुए 48 वर्षीय एक्ट्रेस ने कहा, ‘फिल्म उद्योग में हम धीरे-धीरे लेकिन पक्के तौर पर इस दिशा में बढ़ रहे हैं क्योंकि शुरुआत से ही यह एक मेल डोमिनेटिंग इंडस्ट्री रही है लेकिन निश्चित रूप से इसमें कुछ बदलाव आए हैं।’
टंडन ने कहा कि प्रतिनिधित्व और फीस में भेदभाव जैसे मुद्दे उद्योग में अब भी बने हुए हैं, लेकिन ऊंचे पदों पर महिलाओं के आने के साथ इसमें बदलाव आने लगा है।
एक्ट्रेस ने कहा कि ‘आज की दुनिया में बदलाव आ रहा है क्योंकि सभी टॉप पोजिशन पर जैसे कि निर्देशन या फोटोग्राफी, हमारी कोरियोग्राफर, निर्देशक, निर्माता, मंच की प्रमुख और चैनल प्रमुख सभी महिलाएं ही हैं।’
जो अवसर हमें मिलने चाहिए, अब हमें मिल रहे हैं: रवीना
‘पद्म श्री’ से सम्मानित एक्ट्रेस ने कहा कि ‘इसलिए जो अवसर हमें मिलने चाहिए, अब हमें मिल रहे हैं। निर्माता के तौर पर एक महिला इन मुद्दों को समझती है, वह इस संवेदनशीलता को समझती है। उसमें वह समझ होती है इसलिए हमें अधिक अवसर मिल रहे हैं।’
फिल्म ‘दमन’, ‘मातृ’ और ‘अरण्यक’ जैसी वेब सीरीज के लिए मशहूर टंडन ने कहा कि 90 के दशक में हिंदी सिनेमा की एक्ट्रेसेस को अपनी छवि को तोड़ने के लिए काफी जूझना पड़ता था। अब फिल्म इंडस्ट्री में काफी बदलाव आया है जो 90 के दशक में नहीं था। आपको सिर्फ एक खास किस्म की छवि वाली भूमिकाएं निभानी पड़ती थीं।’
‘दमन’ जैसी फिल्म की कहानी के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा
रवीना ने 2001 की फिल्म ‘दमन’ में एक ऐसी महिला का किरदार निभाया था जो वैवाहिक बलात्कार का शिकार होती है। इस फिल्म के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था। उन्होंने कहा कि उनकी फिल्मी जर्नी उन सामाजिक मुद्दों का आईना हैं जिनका वह समर्थन करती हैं। टंडन ने कहा कि घरेलू हिंसा और वैवाहिक बलात्कार जैसे मुद्दे छिप जाते हैं और कल्पना लाजमी निर्देशित ‘दमन’ जैसी फिल्म की कहानी लाने के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा।
रवीना बोलीं, मैंने काफी संघर्ष किया
उन्होंने कहा, ‘उस वक्त मुझे कोई स्वीकार्यता नहीं मिली और मैंने काफी संघर्ष किया लेकिन फिल्म ने राष्ट्रीय पुरस्कार जीता क्योंकि यह समय से काफी पहले की फिल्म थी। आज 23 साल बाद भी हम इस पर (वैवाहिक बलात्कार पर) बात कर रहे हैं।’ एक्ट्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और प्रसार भारती को मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 100 कड़ी पूरे होने पर बधाई दी जो 30 अप्रैल को प्रसारित होने वाला है।
प्रधानमंत्री की पहल की तारीफ की
‘मन की बात’ कार्यक्रम को भारतीयों से रेडियो के जरिए जुड़ने को एक ‘बेहतरीन विचार’ करार देते हुए टंडन ने कहा कि प्रधानमंत्री की पहल देश के गुमनाम नायकों को सबकी नजर में ले आती है जिनके प्रयास अक्सर मुख्यधारा की मीडिया में रिपोर्ट नहीं हो पाते हैं।
Compiled: up18 News