पीएम नरेंद्र मोदी ने गुरुवार दोपहर तीन मूर्ति मार्ग पर प्रधानमंत्री संग्रहालय का उद्घाटन किया। उनके मुताबिक ‘यहां आने वाले लोग देश के पूर्व प्रधानमंत्रियों की योगदान से रूबरू होंगे। उनकी पृष्ठभूमि, उनके संघर्ष—सृजन को जानेंगे।’ म्यूजियम के उद्घाटन पर पीएम ने उसके लोगों के पीछे का मेसेज बताया।
उन्होंने कहा कि ‘प्रधानमंत्री संग्रहालय’ का लोगो कुछ इस तरह का है कि उसमें कोटि कोटि भारतीयों के हाथ चक्र को थामे हुए हैं। यह चक्र 24 घंटे निरंतरता का प्रतीक है। समृद्धि के संकल्प के लिए परिश्रम का प्रतीक है। यही वह प्रण, चेतना और ताकत है जो आने वाले सालों में भारत के विकास को परिभाषित करने वाली है।’
PM ने कहा कि ‘ये संग्रहालय, आने वाली पीढ़ियों के लिए ज्ञान का, विचार का, अनुभवों का एक द्वार खोलने का काम करेगा। यहां आकर उन्हें जो जानकारी मिलेगी, जिन तथ्यों से वो परिचित होंगे, वो उन्हें भविष्य के निर्णय लेने में मदद करेगी।’
गरीब भी पीएम बन सकता ‘है’
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि ‘देश आज जिस ऊंचाई पर है, वहां तक उसे पहुंचाने में स्वतंत्र भारत के बाद बनी प्रत्येक सरकार का योगदान है। मैंने लाल किले से भी ये बात कई बार दोहराई है। आज ये संग्रहालय भी प्रत्येक सरकार की साझा विरासत का जीवंत प्रतिबिंब बन गया है। देश के हर प्रधानमंत्री ने संविधान सम्मत लोकतंत्र के लक्ष्यों की पूर्ति में भरसक योगदान दिया है। उन्हें स्मरण करना स्वतंत्र भारत की यात्रा को जानना है। ये हम भारतवासियों के लिए बहुत गौरव की बात है कि हमारे ज्यादातर प्रधानमंत्री बहुत ही साधारण परिवार से रहे हैं। सुदूर देहात से आकर, एकदम गरीब परिवार से आकर, किसान परिवार से आकर भी प्रधानमंत्री पद पर पहुंचना भारतीय लोकतंत्र की महान परंपराओं के प्रति विश्वास को दृढ़ करता है। ये देश को युवाओं को भी विश्वास देता है कि भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था में सामान्य परिवार में जन्म लेने वाला व्यक्ति भी शीर्षतम पदों पर पहुंच सकता है।’
वो कौन सा अपवाद है जो…
पीएम मोदी ने भारतीय लोकतंत्र की खूब तारीफ की। उन्होंने कहा, ‘हर युग में, हर पीढ़ी में, लोकतंत्र को और आधुनिक बनाने, सशक्त करने का निरंतर प्रयास हुआ है। एक दो अपवाद छोड़ दें तो हमारे यहां लोकतंत्र को लोकतांत्रिक तरीके से मजबूत करने की गौरवशाली परंपरा रही है। इसलिए हमारा भी ये दायित्व है कि अपने प्रयासों से लोकतंत्र को मजबूत करते रहें। हम तो उस सभ्यता से हैं जिसमें कहा जाता है आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः- यानि हर तरफ से नेक विचार हमारे पास आएं! हमारा लोकतंत्र हमें प्रेरणा देता है, नवीनता को स्वीकारने की, नए विचारों को स्वीकारने की।’
किया उद्घाटन, सैर के लिए खुद टिकट खरीदा
देश के सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों से जुड़ी जानकारी म्यूजियम में उपलब्ध होगी। अब तक तीन मूर्ति भवन को नेहरू मेमोरियल म्यूजियम और लाइब्रेरी के तौर पर जाना जाता था। मोदी ने म्यूजियम का गुरुवार को उद्घाटन कर देशवासियों को समर्पित कर दिया। उन्होंने खुद भी टिकट खरीदा और फिर म्यूजियम की सैर की। संग्रहालय के भवन का डिजाइन उभरते भारत की कहानी से प्रेरित है, जिसे इसके नेताओं के हाथों से आकार दिया और ढाला गया है।
-एजेंसियां
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