रायपुर (छत्तीसगढ़): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को नवा रायपुर स्थित ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के नवनिर्मित “शांति शिखर – एकेडमी फॉर ए पीसफुल वर्ल्ड रिट्रीट सेंटर” को राष्ट्र को समर्पित किया। इस अवसर पर उन्होंने केंद्र के मेडिटेशन रूम में कुछ समय ध्यान लगाया और शांति शिखर के विशाल ऑडिटोरियम में आयोजित समारोह में अध्यात्म, विश्व शांति, पर्यावरण संरक्षण, संस्कृति और ब्रह्माकुमारीज़ से जुड़े अपने अनुभवों को साझा किया।
कार्यक्रम में राज्यपाल रमेन डेका, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, संस्थान की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी जयंती दीदी, तथा अतिरिक्त महासचिव डॉ. मृत्युंजय भाई मंच पर उपस्थित रहे।
“ओम शांति” से शुरू हुआ प्रधानमंत्री का संबोधन
ओम शांति के संबोधन के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने कहा – “आपने स्वयं को ही नहीं, विश्व और ब्रह्मांड को भी शांति के प्रयासों से जोड़ा है। ‘ओम’ का अर्थ है ब्रह्म, संपूर्ण ब्रह्मांड, और ‘शांति’ का अर्थ है शांति की कामना। यही कारण है कि ब्रह्माकुमारीज़ के विचार हर किसी के अंतर्मन को छू जाते हैं।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय अध्यात्म केवल शांति का पाठ नहीं सिखाता, बल्कि हर कदम पर शांति की राह दिखाता है। “विश्व शांति की अवधारणा भारत के मौलिक विचारों का हिस्सा है,” उन्होंने कहा।
“यहां शब्द कम, सेवा अधिक है”
मोदी ने कहा – “हमारे यहां कहा गया है — आचार्य परमोधर्म:, आचार्य परमोतपं, आचार्य परमज्ञानम्। यानी आचरण ही सबसे बड़ा धर्म, तप और ज्ञान है। बदलाव तब आता है जब कथन को आचरण में उतारा जाए, और यही ब्रह्माकुमारी संस्था की शक्ति का स्रोत है।” उन्होंने कहा कि संस्था की हर बहन कठोर साधना और तप से गुजरती है, और यही समाज को सशक्त बनाती है।
“ब्रह्माकुमारीज़ से मेरा आत्मीय संबंध”
प्रधानमंत्री ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि वह कई दशकों से ब्रह्माकुमारीज़ से जुड़े रहे हैं — “मैं यहां अतिथि नहीं हूं, मैं आपका ही हूं। जानकी दीदी का स्नेह और दादी हृदयमोहिनी का मार्गदर्शन मेरे जीवन की विशेष स्मृतियों का हिस्सा है।” उन्होंने बताया कि 2011 के फ्यूचर ऑफ पावर कार्यक्रम से लेकर प्रयागराज और माउंट आबू तक कई आयोजनों में वे संस्था से जुड़े रहे हैं।
“दुनिया के हर देश में ब्रह्माकुमारीज़ की उपस्थिति”
मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री बनने के बाद वे जहां-जहां गए, लगभग हर देश में उन्हें ब्रह्माकुमारीज़ के सदस्य मिले – “उनकी शुभकामनाएं हमेशा मेरे साथ रहीं। इससे मुझे अपनेपन का अहसास और आपकी शक्ति का अंदाज़ा होता है।”
“शांति शिखर विश्व को ऊर्जा देगा”
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ अपनी स्थापना के 25 वर्ष पूरे कर रहा है, साथ ही झारखंड और उत्तराखंड भी अपनी वर्षगांठ मना रहे हैं। “मुझे विश्वास है कि शांति शिखर जैसे संस्थान भारत के प्रयासों को नई ऊर्जा देंगे और लाखों लोगों को विश्व शांति के विचार से जोड़ेंगे।”
अध्यात्म और पर्यावरण पर प्रधानमंत्री का संदेश
प्रधानमंत्री ने कहा — “आत्म संयम से आत्म ज्ञान, आत्म ज्ञान से आत्म साक्षात्कार और आत्म साक्षात्कार से आत्म शांति मिलती है। यही मार्ग वैश्विक शांति की दिशा दिखाता है।”
उन्होंने पर्यावरण संरक्षण पर जोर देते हुए कहा कि भारत ने हमेशा प्रकृति को मां का दर्जा दिया है — “हमें प्रकृति के साथ मिलकर जीना सीखना होगा। सिर्फ लेने का नहीं, लौटाने का भाव रखना होगा। यही भारत का जीवन दर्शन है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत “वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर” के विजन के साथ विश्व को सेफ फ्यूचर का भरोसा दे रहा है और दुनिया इसके साथ जुड़ रही है।
ब्रह्माकुमारीज़ परिवार ने किया प्रधानमंत्री का स्वागत
अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी जयंती दीदी ने प्रधानमंत्री का स्वागत करते हुए कहा – “परमात्मा आपको उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करें ताकि भारत को विश्व गुरु बनाने के आपके संकल्प को निरंतर सकारात्मक ऊर्जा मिलती रहे।”
कार्यक्रम का वातावरण शांति, आध्यात्मिक ऊर्जा और एकता की भावना से ओतप्रोत रहा।
-शीतल सिंह माया

