पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले के आरोपी पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी ने ईडी की पूछताछ में स्पष्ट रूप से कहा है कि पार्टी में शीर्ष नेतृत्व सहित सभी को घोटाले से उगाहे गए रुपयों के बारे में पता था। पार्टी के इशारे पर ही उगाही होती थी। पार्थ ने दावा किया कि वह सिर्फ संरक्षक थे। उन्होंने कभी कोई पैसा नहीं मांगा और न ही शिक्षक भर्ती के उम्मीदवारों से कुछ स्वीकार किया। वह तो महज आदेशों का पालन कर रहे थे। उन्हें दूसरों द्वारा तैयार किए गए दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने होते थे। पैसे दूसरों द्वारा एकत्र किए गए और उनके पास भेज दिए गए। उन्हें वह पैसे सुरक्षित रखने का निर्देश दिया गया था। बाद में पार्टी के उपयोग के लिए सैकड़ों करोड़ ले लिए गए थे। उगाही से जुटाई गई राशि का केवल एक अंश जब्त किया गया है। ग
रतलब है कि पार्थ की करीबी अर्पिता मुखर्जी के यहां से करीब 50 करोड़ रुपये नकद मिले हैं। इसके साथ ही सोने के कई किलो गहने व अन्य संपत्तियों के दस्तावेज बरामद किए गए हैं।
अन्य विभागों में भी बेची गई नौकरियां
पार्थ ने दावा किया है कि पार्टी ने अन्य विभागों में भी नौकरियां बेचकर पैसा कमाया। यह संस्कृति बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के सत्ता में आने से पहले की है। लोगों को कथित तौर पर पैसे देकर रेलवे की नौकरी मिली। उन्होंने यह भी उल्लेख किया है माजेरहाट में एक निश्चित कार्यालय में ये सौदे हुए थे। पार्थ का दावा है कि पार्टी को उनके भाग्य के बारे में निर्णय लेने में इतना समय लगाया, क्योंकि अन्य नेता अपने घरों की सफाई कर रहे थे। कई अन्य शीर्ष नेताओं ने अर्पिता मुखर्जी के नाम पर खरीदी गई संपत्तियों को छोड़ दिया।
ईडी को बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाले में गिरफ्तार पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी तथा उनकी महिला मित्र अर्पिता मुखर्जी के फ्रीज बैंक अकाउंट में आठ करोड़ रुपये का पता चला है। ईडी रुपयों के लेन-देन के बारे में जानकारी इकट्ठा कर रही है। इसके अलावा आज पार्थ ने कहा कि वक्त बताएगा कि किसने षड्यंत्र किया है। जब्त रुपये उनका नहीं है।
पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी को आज फिर मेडिकल जांच के लिए जोका स्थित ईएसआई अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल के गेट पर पूछे जाने पर पार्थ ने कहा कि वक्त बताएगा कि किसने षड्यंत्र किया है। जब्त रुपये उनका नहीं है।
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