पाकिस्तान इस वक्त सबसे बुरे आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि उसे पैसों के लिए दूसरे देशों से गुहार लगानी पड़ रही है। इस बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा है कि यह शर्म की बात है कि एक परमाणु शक्ति संपन्न देश को अपनी लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था के मद्देनजर भीख मांगनी पड़ रही है।
वित्तीय सहायता के लिए पाकिस्तान ने की सऊदी अरब की सराहना
पाकिस्तान प्रशासनिक सेवा (पीएएस) के परिवीक्षाधीन अधिकारियों के पासिंग-आउट समारोह को संबोधित करते हुए शहबाज ने कहा कि उन्हें कर्ज मांगने में शर्मिंदगी महसूस होती है। उन्होंने कहा कि विदेशों से ऋण लेकर पाकिस्तान की आर्थिक चुनौतियों का समाधान करना एक सही तरीका नहीं है क्योंकि उनका पैसा वापस भी करना होगा।
शरीफ ने बताया कि हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की अपनी यात्रा के दौरान राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद ने पाकिस्तान को 1 बिलियन डॉलर का और लोन देने की घोषणा की थी। इस वित्तीय सहायता के लिए पीएम ने सऊदी अरब की सराहना भी की।
अन्य मित्र देशों से कर्जा मांगने की सोच रहा पाकिस्तान
इस बीच, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ बात फाइनल होने से पहले पाकिस्तान आर्थिक संकट को दूर करने के लिए अपने अन्य मित्र देशों से आर्थिक मदद को लेकर संपर्क करने पर विचार कर रहा है।
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि देश राजनीतिक समस्या के चलते निर्णय लेने की प्रक्रिया को बाधित कर रही है। इससे नीति निर्माताओं के लिए IMF कार्यक्रम के लिए आवश्यक कठिन विकल्प चुनना मुश्किल हो गया है।
काम करने लिए सरकार के पास नहीं है ज्यादा समय
वहीं, आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सरकार के पास काम करने के लिए ज्यादा समय नहीं है क्योंकि स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) द्वारा रखे गए विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से घट रहे हैं। 6 जनवरी तक एसबीपी के पास मौजूद विदेशी मुद्रा भंडार महज 4.3 अरब डॉलर था। वहीं, वाणिज्यिक बैंकों का विदेशी मुद्रा भंडार 5.8 बिलियन डॉलर था, जिससे देश का संचयी भंडार लगभग 10.18 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया।
पाकिस्तान के पास समझ की कमी, विशेषज्ञों का दावा
पिछले 12 महीनों में एसबीपी के भंडार में 12.3 बिलियन डॉलर की गिरावट आई है। 22 जनवरी, 2022 को भंडार में 16.6 बिलियन डॉलर था जो 6 जनवरी, 2023 को घटकर 4.3 बिलियन डॉलर हो गया।
विशेषज्ञों का कहना है कि आगे बढ़ने को लेकर समझ की कमी है, स्पष्ट दृष्टि से कार्रवाई ही इस संकट को टाल सकती है। वहीं, सऊदी अरब जैसे मित्र देश पाकिस्तान को अतिरिक्त 2 बिलियन डॉलर देने को लेकर अभी सोच विचार कर रहे हैं। यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि उन्हें निर्णय लेने में कितना समय लगेगा। इसके अलावा पाकिस्तान में आईएमएफ के समीक्षा मिशन के दौरे की भी अभी तक पुष्टि नहीं हुई है।
Compiled: up18 News
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