पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने गुरुवार को संसद में बतौर विदेश मंत्री पहली बार कश्मीर पर बोले.
इस मौक़े पर बिलावल भुट्टो ने भारत और कश्मीर के मुद्दे पर मोदी सरकार को टारगेट किया.
अपने संबोधन में बिलावल भुट्टो ने कहा कि सत्ता की कमान संभालने के साथ ही जिस चुनौती का हमें सबसे पहले सामना करना पड़ा वो कश्मीर से जुड़ा था.
सभापति को संबोधित करते हुए बिलावट भुट्टो ने कहा, “सरकार के सामने कश्मीर के हवाले से एक और मसला सामने आया है.”
भुट्टो ने अपने संबोधन में पांच अगस्त 2019 के भारत सरकार के उस फ़ैसले का ज़िक्र किया जिसके तहत संविधान से अनुच्छेद 370 हटाकर जम्मू-कश्मीर का विशेषाधिकार ख़त्म कर दिया है.
भुट्टो ने भारत सरकार के इस क़दम को ग़ैर-क़ानूनी बताते हुए कहा कि यह जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक संरचना को बिगाड़ने की एक कोशिश थी.
बिलावल भुट्टो ने दावा किया कि जम्मू-कश्मीर और पाकिस्तान के हिस्से वाले कश्मीर (पाक अधिकृत) दोनों ही जगहों पर लोगों ने इस फ़ैसले को स्वीकार नहीं किया.
इसके साथ ही उन्होंने जम्मू-कश्मीर के लिए गठित परिसीमन आयोग पर भी टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि आयोग की रिपोर्ट जम्मू-कश्मीर के लोगों को चिंता में डालने वाली है और इसकी मंजूरी से लोगों में डर है.
बिलावल भुट्टो ने दावा किया कि मौजूदा भारत सरकार लगातार ऐसी कोशिशें कर रही है जिससे कश्मीरी अपनी ही ज़मीन पर अल्पसंख्यक हो जाएंगे.
विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने गुरुवार को ही ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ़ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) के महासचिव हुसैन ब्राहिम ताहा से फ़ोन पर बात की. टेलिफ़ोन पर हुई इस बातचीत में उन्होंने ताहा को जम्मू-कश्मीर के मौजूदा हालात के बारे में जानकारी दी.
उन्होंने जम्मू-कश्मीर में परिसीमन आयोग की रिपोर्ट को ख़ारिज करते हुए इसे घुसपैठ की कोशिश क़रार दिया. बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने कहा कि यह एक ग़ैर-क़ानूनी और हास्यास्पद प्रयास है जो कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों, अंतर्राष्ट्रीय क़ानून और चौथे जिनेवा कंवेंशन का उल्लंघन है.
भुट्टो ने आरोप लगाया कि भारत सरकार घाटी के डेमोग्राफ़ी को बदलने की कोशिश कर रही है.
अपने संबोधन मे उन्होंने ओआईसी के सैद्धांतिक रुख़ की सराहना की. उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को कश्मीर को लेकर संवेदनशील बने रहने की ज़रूरत है.
-एजेंसियां
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