पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के बांग्लादेश के जन्म लेकर किए गए दावे की खुद उन्हीं के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने पोल खोलकर रख दी है। जनरल बाजवा ने अपनी रिटायरमेंट से ठीक पहले दावा किया था कि पूर्वी पाकिस्तान का पाकिस्तान से अलग होना ‘राजनीतिक’ असफलता थी। अब बिलावल भुट्टो ने जनरल बाजवा के झूठ को सिरे से खारिज कर दिया है और कहा कि साल 1971 में ढाका की हार ‘सेना की नाकामी’ थी।
दरअसल, बाजवा ने अपने बयान के जरिए जुल्फिकार अली भुट्टो पर निशाना साधा जो बिलावल के दादा थे। अब बिलावल भुट्टो ने पलटवार किया और कहा कि सेना की नाकामी की वजह से ढाका की हार हुई। इससे जुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार के लिए कई चुनौतियां पैदा हो गई थीं। पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने पाटी पीपीपी की एक रैली में यह बयान दिया। इस दौरान बिलावल ने पार्टी के इतिहास को याद किया और उसके संस्थापकों की उपलब्धियों को गिनाया।
‘सैन्य नाकामी की वजह से युद्धबंदी बनाए गए 90 हजार सैनिक’
बिलावल ने 1971 की हार को याद किया और कहा कि उनके दादा ने टूट चुके देश को एकजुट करने की चुनौती को लिया और देश की खत्म हो चुकी शान को वापस दिलाया। उन्होंने कहा, ‘जब जुल्फिकार अली भुट्टो ने सरकार बनाई थी, तब लोग टूटे हुए थे और निराश हो चुके थे। लेकिन उन्होंने देश का फिर से निर्माण किया, लोगों के अंदर आत्मविश्वास को बढ़ाया और अंतत: सैन्य नाकामी की वजह से युद्धबंदी बनाए गए 90 हजार सैनिकों को वापस पाकिस्तान ले आए। ये 90 हजार सैनिक फिर से अपने परिवार से मिल सके।’
इस तरह से बिलावल ने बाजवा के उस झूठ की भी पोल खोल दी जिसमें उन्होंने दावा किया था कि युद्धबंदियों में 92 हजार सैनिक नहीं बल्कि केवल 34 हजार पाकिस्तानी सैनिक थे। बाजवा ने यह भी कहा था कि बाकी बचे लोग पाकिस्तानी सरकार के विभिन्न विभागों के कर्मचारी थे।
पूर्व पाकिस्तानी आर्मी चीफ ने कहा था कि पाकिस्तान के 34 हजार सैनिकों ने भारत के 2,50,000 सैनिकों और शेख मुजीब की मुक्ति वाहिनी के दो लाख प्रशिक्षित लड़ाकुओं के साथ जंग लड़ी थी। बाजवा ने बिना लड़े ही हार मानने वाले पाकिस्तानी सैनिकों की जमकर तारीफ की थी।
Compiled: up18 News
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